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कश्मीर में बाढ़ से 200 मरे

श्रीनगर | एजेंसी: जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से करीब 200 लोगों की जांच जा चुकी हैं. सशस्त्र बलों और एनडीआरएफ ने बाढ़ प्रभावित जम्मू एवं कश्मीर से अभी तक 47,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है. राज्य के इतिहासि में पिछले 50 वर्ष में आई भीषणतम बाढ़ से तबाह हुई सड़कों और संचार व्यवस्था को कायम करने में सरकारी एजेंसियां जुट गई हैं.

देश के उत्तरी राज्य में मची तबाही को देखते हुए मदद के लिए विभिन्न राज्य सरकारों ने पेशकश की है. उत्तर प्रदेश ने 20 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र ने 10 करोड़ रुपये, बिहार ने 9 करोड़ रुपये, ओडिशा ने 5 करोड़ रुपये की मदद दी है जबकि गोवा के कांग्रेसी विधायकों ने एक माह का वेतन और भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई ने दो ट्रक राहत सामग्री भेजी है.

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू एवं कश्मीर की मदद के लिए हर संभव प्रयत्न में जुटी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है.

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है.

सेना के तीनों अंगों और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल सहित विभिन्न एजेंसियां फंसे हुए लोगों को निकालने में जुटी हैं. ज्यादातर लोग मकानों की छतों पर शरण लिए हुए हैं. बाढ़ में सड़कों के बह जाने के कारण राज्य के विभिन्न इलाकों में लोग फंसे हुए हैं.

सरकारी अनुमान के मुताबिक, बाढ़ में मरने वालों की संख्या 200 के आसपास होने या इससे बढ़ने की आशंका है.

रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि सेना ने राहत एवं बचाव कार्य के लिए 215 सैन्य टुकड़ियां तैनात किए हैं, जिनमें से 130 सैन्य टुकड़ियां श्रीनगर और बाकी जम्मू क्षेत्र में तैनात हैं.

विज्ञप्ति में कहा गया है, “सशस्त्र बलों और एनडीआरएफ ने जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से 47,227 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है.”

सैन्य कर्मियों ने बाढ़ प्रभावितों के बीच 7,200 कंबल और 210 तंबू वितरित किए हैं.

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के 80 चिकित्सा दल भी बाढ़ प्रभावितों की सेवा में लगे हुए हैं.

इस बीच, भारत संचार निगम लिमिटेड सशस्त्र बलों की मदद से सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए अपनी मोबाइल सेवा पुन: बहाल करने की कोशिश कर रहा है.

जम्मू एवं कश्मीर में सड़क संपर्क बहाल होने और संचार लाइनें दुरुस्त होने के बाद ही नुकसान के सही आकलन की जानकारी मिल पाएगी.

कश्मीर घाटी के लिए रवाना आवश्यक सामग्रियों से लदे करीब 1,500 ट्रक 300 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों पर फंसे हैं, क्योंकि इस मार्ग पर सड़कें बाढ़ के पानी के कारण ध्वस्त हो गई हैं या भूस्खलन के कारण नष्ट हो गई हैं.

रामबन जिले के रामसू इलाके में राजमार्ग को अधिकतम नुकसान पहुंचा है, जहां करीब 40 किलोमीटर सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई है. यह राजमार्ग मंगलवार को लगातार छठे दिन बंद रहा.

घाटी में स्थानीय टेलीविजन तथा रेडियो स्टेशनों का प्रसारण भी बंद रहा. घाटी तथा जम्मू क्षेत्र के बीच संचार संपर्क भी नहीं है.

जम्मू क्षेत्र में करीब 2,040 घर रहने लायक नहीं रह गए हैं. ये या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट हो गए हैं.

जम्मू क्षेत्र में मंगलवार को बारिश नहीं हुई, जिससे सेना तथा अन्य सुरक्षा बलों के राहत कार्य में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है.

उधर, माता वैष्णो देवी यात्रा सोमवार को भी स्थगित रही. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.के. भंडारी ने कहा कि यात्रा शुरू करने का निर्णय बाद में लिया जाएगा.

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