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व्यापमं के जरिए फर्जी नियुक्तियां : शिवराज

भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वीकार किया कि सरकारी नौकरियों में एक लाख 47 हजार भर्तियां की गईं जिनमें 1,000 भर्तियां फर्जी तरीके से हुई हैं. शिवराज ने आगे कहा कि अन्य मामलों में जांच चल रही है, तथा शेष सभी पदों पर हुई नियुक्ति पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है. विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा के दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का तेजी से विकास हो रहा है, मगर विपक्ष तथ्यहीन आरोप लगा रहा है.

शिवराज ने कहा, “जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे तथ्यहीन, आधारहीन हैं. विपक्ष को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. ऐसा न कर गलत आरोप से गरिमा गिरती है.”

राज्य में पीएमटी परीक्षा में हुए घोटाले सहित अन्य भर्तियों में हुई गड़बड़ी के आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा, “एक भी फर्जी चयन या भर्ती होना दुखद है. इससे मैं आहत हूं, तथा यह हमारे माथे पर कलंक है. राज्य में पहले कैसे नियुक्तियां होती थी, किसी से छिपा नहीं है. सिगरेट की पर्ची पर नियुक्ति आदेश दे दिए जाते थे. यही कारण है कि भाजपा सरकार ने भर्ती में पारदर्शिता लाने के मकसद से परीक्षा आयोजन का काम व्यापमं को सौंपा.”

पीएमटी फर्जीवाड़े पर शिवराज ने कहा कि जैसे ही इस परीक्षा में गड़बड़ी की बात सामने आई चिकित्सा शिक्षा विभाग व सरकार ने एहतियाती कदम उठाए. इस मामले में विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर विधानसभा को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा उन्होंने गुमराह नहीं किया है, बल्कि मांगी गई जानकारी पर उपलब्ध ब्यौरे के मुताबिक ही जवाब दिया है.

शिवराज ने आगे कहा, “पहले जो छात्र संदिग्ध थे, उनकी जांच कराई गई तथा जो फर्जी पाए गए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. इसी वर्ष इंदौर में मामले का खुलासा होने पर पुलिस ने पूरी सक्रियता से काम किया और एक सप्ताह के भीतर बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की गईं. सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का जिम्मा स्पेशल टॉस्क फोर्स को सौंप दिया. एसटीएफ ने व्यापमं के अधिकारियों से लेकर दलालों तक सभी संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई की.”

मुख्यमंत्री ने विधानसभा में इस मामले में सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया. शिवराज ने कहा, “कोई कितना भी ताकतवर हो, बच नहीं पाएगा. विपक्ष को तथ्यपरक विषय उठाने चाहिए.”

मुख्यमंत्री ने हालांकि विपक्ष के व्यापमं घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराए जाने की मांग का कोई जवाब नहीं दिया.

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