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बिहार के 3500 गांवों में बाढ़

पटना | एजेंसी: हर वर्ष बाढ़ का कहर झेल रहे बिहार के 20 जिले इस वर्ष भी बाढ़ की चपेट में हैं. राज्य के 3500 से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी कहर बरपा रहा है, जबकि 60 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं. ऐसे में राहत देने वाली बात यह है कि गंगा नदी के जलस्तर में कमी आई है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बाढ़ प्रभावित इलाके का सर्वेक्षण किया. राज्य में बाढ़ से भागलपुर, पटना, खगड़िया और कटिहार जिले सबसे ज्यादा प्रभावित बताए जा रहे हैं. पटना में गंगा के आसपास के इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं. गंगा के तट पर बसे लोग अपने जानवरों के साथ ऊंचे स्थानों पर जा रहे हैं. इधर, मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में नेपाल में जोरदार बारिश का अनुमान जाहिर किया है, जिसे लेकर बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोग भय के वातावरण में जी रहे हैं.

भागलपुर में जिले के सुन्तानगंज प्रखंड का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह टूट गया है. शाहकुंड-सुल्तानगंज मार्ग पर तीन फुट पानी भरा हुआ है. मुंगेर-सुल्तानगंज राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर कई स्थानों पर बाढ़ का पानी बह रहा है, इस कारण पटना से संपर्क टूट गया है. सुल्तानगंज-भागलपुर मार्ग पर दस से ज्यादा स्थानों पर बाढ़ का पानी भरा हुआ है.

इधर, खगड़िया में भी बाढ़ का पानी कहर बरपा रहा है. बाढ़ के कारण केला की खेती बर्बाद हो गई है. पटना में बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार गंगा नदी के जलस्तर में कमी आई है. पटना के गांधीघाट को छोड़कर गंगा नदी सभी स्थानों पर खतरे के निशान के नीचे आ गई है. इधर, बूढ़ी गंडक खगड़िया में अभी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है.

राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि अब तक दो लाख 51 हजार से ज्यादा परिवारों को प्रति कुंटल के हिसाब से अनाज दिया गया है. राज्य के 3936 गांवों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है. गंगा के तटवर्ती इलाकों के बाढ़ प्रभावित नौ जिलों में 102 राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां बाढ़ पीड़ितों को भोजन दिया जा रहा है.

इस बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को कई निर्देश दिए. दूसरी ओर राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार को केन्द्र सरकार कई मामलों में मदद तो कर रही है परंतु बाढ़ और सुखाड़ के मामले में कोई मदद नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि बाढ़ प्रभावित लोगों को न सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और न ही उन्हें पर्याप्त नौकओं की सुविधा दी गई है.

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