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जीएसटी यानी गुड एंड सिंपल टैक्स-मोदी

नई दिल्ली | संवाददाता: संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित ऐतिहासिक मध्‍य रात्रि सत्र के बीच आज से जीएसटी यानी वस्‍तु एवं सेवा कर व्‍यवस्‍था लागू हो गई.राष्‍ट्रपति एवं प्रधानमंत्री द्वारा बटन दबाकर देश में जीएसटी की शुरुआत करने से पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सभा को संबोधित किया.

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण दिसंबर 2002 में प्रारंभ हुई चौदह वर्ष पुरानी यात्रा का परिणाम है जब अप्रत्यक्ष करों के बारे में गठित केलकर कार्य बल ने मूल्यवर्धित कर सिद्धांत पर आधारित विस्तृत वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी लागू करने का सुझाव दिया था. जीएसटी का प्रस्ताव सबसे पहले वित्त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में आया था.

उन्होंने कहा कि जीएसटी की शुरुआत राष्‍ट्र के लिए एक महत्‍वपूर्ण घटना है. यह मेरे लिए भी संतोषजनक लम्‍हा है, क्‍योंकि बतौर वित्‍तमंत्री मैंने ही 22 मार्च 2011 को संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था. मैं इसकी रूपरेखा और कार्यान्‍वयन में बहुत गहराई से जुड़ा रहा और मुझे राज्‍य वित्‍तमंत्रियों की अधिकार प्राप्‍त समिति के साथ औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही तरह की करीब 16 बार मुलाकात करने का अवसर भी मिला. मैंने गुजरात, बिहार, आंध्रप्रदेश और महाराष्‍ट्र के मुख्‍य‍मंत्रियों से भी कई बार मुलाकात की. उन मुलाकातों और उस दौरान उठाए गए मामलों की यादें आज भी मेरे ज़ेहन में हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि जीएसटी हमारे निर्यात को और अधिक स्‍पर्धी बनाएगा तथा आयात से स्‍पर्धा में घरेलू उद्योग को एक समान अवसर उपलब्‍ध कराएगा. जीएसटी के अंतर्गत कर भार पारदर्शी होगा और इससे निर्यात पर कर बोझ पूरी तरह खत्‍म करने और आयात पर घरेलू कर भार समाप्‍त करने में सहायता मिलेगी.

प्रणव मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी कठिन बदलाव है. यह वैट लागू होने से मिलता-जुलता है, जब शुरुआत में उसका भी विरोध हुआ था. जब इतने बड़े पैमाने पर बदलाव लाया जाने वाला हो, चाहे वह कितना ही सकारात्‍मक क्‍यों न हो, शुरुआती अवस्‍था में थोड़ी-बहुत कठिनाइयां और परेशानियां तो होती ही हैं. हमें इन सबको समझदारी के साथ और तेजी से सुलझाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका प्रभाव अर्थव्‍यवस्‍था की वृद्धि की रफ्तार पर नहीं पड़ेगा. ऐसे बड़े बदलावों की सफलता हमेशा उनके प्रभावी कार्यान्‍वयन पर निर्भर करती है.

आयोजन को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह दिन देश का भविष्‍य निर्धारित करने के लिहाज से एक निर्णायक मोड़ है.

उन्‍होंने याद किया कि संसद का यह केंद्रीय कक्ष पहले भी कई ऐतिहासिक अवसरों का साक्षी रहा है जिसमें संविधान सभा का पहला सत्र, भारत की आजादी और संविधान को अंगीकार करना शामिल हैं. उन्‍होंने जीएसटी को सहकारी संघवाद का एक उदाहरण बताया.

उन्‍होंने कहा कि जीएसटी से समय और लागत में काफी बचत होगी. उन्‍होंने यह भी कहा कि राज्‍य की सीमाओं को पार करते समय होने वाली देरी से जलने वाले इंधन की अब बचत होगी और इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी एक आधुनिक कर प्रशासन को बढ़ावा देगा जो अपेक्षाकृत आसान एवं अधिक पारदर्शी होगा और इससे भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.

उन्‍होंने जीएसटी को ‘गुड एंड सिम्‍पल टैक्‍स’ यानी अच्‍छा एवं आसान कर कहा जिससे अंतत: लोगों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री ने समाज के पार‍स्‍परिक एवं साँझा लाभ के लिए साझा लक्ष्‍य और समान दृढसंकल्‍प की भावना का वर्णन करने के लिए ऋग्‍वेद के श्‍लोक का भी उल्‍लेख किया.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आज की जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में राज्यों और केन्द्र को मिलाकर 17 Transaction Tax हैं- Seventeen, 23 cess हैं, उन सबको समाप्‍त कर दिया गया है और उनके स्‍थान पर केवल एक Tax रहेगा. उस हर Tax के लिए अलग return जाता था, आज एक return जाएगा. पूरे देश के अंदर अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग रेट और चुंगी-नाकों के ऊपर ट्रको की भीड़ वो समाप्‍त होगी और एक प्रकार से single flow good and services का पूरे देश के अंदर उसके बाद होगा.

उन्होंने कहा कि इसका एक और लाभ है कि जो एक बार आपने Tax दे दिया inputs के ऊपर output के स्‍तर पर इसका आपको लाभ मिलने लगेगा. मंहगाई के ऊपर भी लगाम लगेगी. टैक्‍स avoidance कठिन होगा, रेट पहले की तुलना में कम होंगे. देश की GDP को लाभ मिलेगा और जो अधिक राज्‍यों को और केंद्र को साधन मिलेंगे वो इस देश की गरीब की सेवा करने के लिए उनको एक अवसर उपलब्‍ध होगा.

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