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जोगी की जाति की फिर होगी जांच

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति की जांच नये सिरे से होगी. हाईकोर्ट ने अजीत जोगी की उस याचिका पर फ़ैसला सुनाया है, जिसमें अजीत जोगी ने हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किये थे. हाईकोर्ट ने भी माना कि हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट में कई खामियां हैं. हाईकोर्ट की युगलपीठ ने नये सिरे से जोगी की जाति की जांच करने के निर्देश दिये हैं.

गौरतलब है कि इसी हाईपावर कमेटी के फैसले को आधार बना कर अजीत जोगी की जाति प्रमाण पत्र तक को रद्द कर दिया गया था.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में ऊपरी अदालत ने उच्च स्तरीय स्टैंडिंग कमेटी को छह महीने के अंदर जाँच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. इसके बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यतींद्र सिंह और प्रितिंकर दिवाकर की पीठ ने भाजपा नेता बनवारी लाल अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए जोगी की जाति से संबंधित अब तक के सभी रिकार्ड दो दिन के भीतर पेश करने के आदेश दिये थे.

उल्लेखनीय है कि पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष बनवारी लाल अग्रवाल ने 11 जुलाई, 2002 को अजीत जोगी के विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र लेने का आरोप लगाते हुये जनहित याचिका दायर की थी. उस समय इस मामले में तत्कालीन न्यायमूर्ति पी.सी. नायक और न्यायमूर्ति फखरूद्दीन की अदालत ने अपने आदेश में इसकी सुनवाई से बिना कोई कारण बताए इनकार कर दिया था.

लगभग 10 साल बाद हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील कुमार सिन्हा ने पूर्व में जोगी का वकील होने का हवाला देते हुये जोगी के जाति प्रमाण पत्र की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था.

इससे पहले 13 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को आदेश दिया था कि वह अजीत जोगी की जाति के पूरे मामले की हाई पावर कमेटी से जांच कराये. अदालत ने कहा था कि जोगी की जाति पर निर्णय राज्य-स्तरीय छानबीन समिति सर्वोच्च न्यायालय द्वारा माधुरी पाटिल प्रकरण में निर्धारित विधि के अनुसार करेगी और अपनी रिपोर्ट 3 महीने के अन्दर उसे सौपेगी. इसके बाद अजीत जोगी ने अदालत के इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी. मामला अदालत की कार्रवाइयों में उलझा रहा.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने अजीत जोगी के जाति संबंधी दावे खारिज कर दिया. रीना बाबा साहेब कंगाले की कमेटी ने जोगी के आदिवासी होने संबंधी दस्तावेज़ों को उचित और पर्याप्त नहीं माना. कमेटी ने अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना था बल्कि उन्हें ईसाई माना था. इसी रिपोर्ट को आधार बना कर बिलासपुर ज़िला प्रशासन ने अजीत जोगी के आदिवासी होने संबंधी प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया.

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