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नहीं रहे भारत रत्न अटल

नई दिल्ली | संवाददाता:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को निधन हो गया. 93 साल के अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और पिछले दो महीनों से एम्स में भर्ती थे. तीन बार भारत की कमान संभाल चुके अटल बिहारी वाजपेयी नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे.

16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे.लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण 31 मई 1996 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. 1998 में एक बार फिर वे प्रधानमंत्री चुने गये लेकिन अल्पमत के कारण उनकी सरकार गिर गई. 1999 में वे तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने गये और उन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक और तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने पद से हटने के कुछ दिनों बाद से ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी. 13 मई 2004 को उन्होंने अपनी तीसरी पारी के कैबिनेट की अंतिम बैठक की थी. एनडीए के चुनाव हारने के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उसके बाद उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने की घोषणा की गई थी. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पद को नहीं स्वीकारा.

अगले साल यानी 2005 में वे मुंबई में भाजपा की रजत जयंती समारोह में उन्होंने शिरकत की और इसी आयोजन में उन्होंने सक्रिय राजनीति से मुक्त होने की घोषणा भी कर दी थी. दो साल बाद 2007 में राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने जब वे व्हील चेयर पर पहुंचे तो उनके बीमार होने की बात सार्वजनिक हुई. इसके बाद वे एकाध आयोजनों में जरुर नजर आये लेकिन तब भी उनकी तबीयत बेहद खराब थी. 2009 में जब उनका संसद सदस्य के तौर पर कार्यकाल खत्म हुआ, उसी साल उन्हें स्ट्रोक पड़ा, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर हो गई. तब से वे लगातार गंभीर रुप से बीमार रहे.

25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्में अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में एमए करने के बाद वकालत की पढ़ाई शुरु की लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य के कारण उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. संघ में काम करने के साथ-साथ उन्होंने संगठन की पत्र-पत्रिकाओं पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन का भी संपादन किया.

आजीवन अविवाहित रहे अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक रहे और 1968 से 1973 तक वे जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. इससे पहले 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन वे चुनाव हार गये थे. बाद में 1957 में उत्तरप्रदेश के बलरामपुर से वे पहली बार लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे. मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक भारत के विदेश मंत्री रहे.

अटल बिहारी वाजपेयी की कवि के रुप में भी ख्याति थी और उन्होंने कई किताबें भी लिखी. खास किस्म की भाषण कला के प्रणेता अटल बिहारी वाजपेयी अपने वक्तव्यों के कारण विपक्षी दलों की भी प्रशंसा के पात्र आजीवन बने रहे.

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