कलारचना

आत्मकथाएं झूठी होती हैं: कमल हासन

चेन्नई | एजेंसी: पद्म भूषण सम्मान के लिए चुने गए फिल्म अभिनेता एवं निर्माता कमल हासन का कहना है कि वे आत्मकथा लिखना नहीं चाहते क्योंकि वे ज्यादातर झूठी होती हैं

एक साक्षात्कार में हासन ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च सम्मान के लिए चुना गया है, लेकिन एक अभिनेता होने के नाते उन्हें संतुष्टि तब मिलेगी जब वह भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचाने में कामयाब होंगे.

हासन ने कहा, “मुझे लगता है यह बेहद अचानक हुआ और मेरा भाग्य है कि मुझे इस सम्मान के लिए चुना गया. लकिन एक कलाकार होने के नाते पुरस्कारों से मुझे संतुष्टि और खुशी नहीं मिल सकती. मैं हमारे भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचाना चाहता हूं. हमने अपने यहां बहुत सी उपलब्धियां हासिल की हैं, लकिन व्यवसायिक सफलता ही सबकुछ नहीं होती है.”

उन्होंने कहा, “मैं इस पुरस्कार और सम्मान को इस तरह देखता हूं कि इससे मुझे अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. मुझे लगता है मैं आगे जो काम करूंगा, यह उस काम के प्रति सम्मान है. यहां हजारों लोग हैं, जो इस सम्मान के लिए मुझसे ज्यादा काबिल हैं.”

करियर के 50 सालों में अलग-अलग भाषाओं में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके 59 वर्षीय हासन ने यह पुरस्कार उन लोगों को समर्पित किया, इस कामयाबी के पीछे जिनका साथ है.

हासन ने कहा, “मैं बिल्कुल भी नहीं बदला हूं. मैं अब भी उसी तरह से सोचता हूं जैसा तब सोचा करता था, जब किशोर था. मेरे बीते दिनों के अनुभवों ने मुझे पहले से सुधारा है और एक व्यक्ति और एक कलाकार के रूप में निखारा है.”

हासन से यह पूछे जाने पर कि अब वह दो राष्ट्रीय पुरस्कारों (पद्मश्री 1190, पद्मभूषण 2014) विजेता हो चुके हैं, तो क्या वह अपनी आत्मकथा लिखने के बारे में विचार कर रहे हैं, उन्होंने कहा, “मैं आत्मकथा लिखने के खिलाफ हूं. आपको अपनी आत्मकथा में जीवन की सच्चाईयां बतानी होती हैं. यदि मैं ऐसा करूंगा तो कई लोगों को आपत्तियां होंगी. मेरा मानना है कि आत्मकथा एक तरह से कहानी होती है, जिसमें सच्चाईयों को थोड़ा तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है. कई बार यह झूठी कहानी होती है.”

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