रायपुर

बारनवापारा में यह कैसा पर्यटन

रायपुर | संवाददाता: गांव वालों को जंगल से खदेड़ने के बाद अब बारनवापारा में वन विभाग कांक्रीट के जंगल तैयार कर रहा है. वन विभाग करोड़ों रुपए खर्च कर जंगल को गांव और मानव रहित बनाना चाह रहा है ताकि वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल प्राकृतिकवास बन सके वहीं दूसरी ओर वन विभाग सारे नियम-कायदे को ताक पर रख कर जंगल में एसी और एलईडी टीवी युक्त कमरे बनवा रहा है.

बारनवापारा अभ्यारण्य में बिजली नहीं है. लेकिन इको टूरिज्म को बढ़ावा देने वाले वन विभाग के बेपरवाह अफसरों ने पिछले कई महीनों से बीसियों की संख्या में एयर कंडीशनर और एलईडी टीवी खरीद लिये हैं और उन्हें रेस्ट हाउस में लगा भी दिया गया है. इसके लिये बजाप्ता जेनरेटर सेट भी खरीदा गया है.

आम तौर पर देश के जिन इलाकों में इको टूरिज्म को प्रोत्साहित किया जाता है, वहां कोशिश यह होती है कि पर्यटक यथासंभव प्राकृतिक वातावरण में रहे और वन्यप्राणियों को भी खलल नहीं पड़े लेकिन एसी, एलईडी टीवी, जेनरेटर के साथ बारनवापारा में वन विभाग इको टूरिज्म एक नई परिभाषा गढ़ रहा है.

बारनवापारा के पर्यटक विश्राम गृह में फिलहाल 12 कमरे हैं और 6 कमरे निर्माणाधीन हैं. लेकिन खरीदी की ऐसी छटपटाहट वन विभाग के अफसरों में ही देखी जा सकती है, जिन्होंने निर्माणाधीन कमरों के लिये भी साल भर पहले से ही एयर कंडीशनर और एलईडी खरीद लिये हैं.

बन रहे कमरों को 5 सितारा होटल की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है. यहां सागौन के पलंग से लेकर महंगे पर्दे लगाए जा रहे हैं. फाल सिलिंग के साथ हर कमरे में 8 से 10 आकर्षक लाइटें मिलेंगी. विभाग इस चीज का पूरा ख्याल रख रहा है कि जंगल आने वाले प्रकृति प्रेमियों को किसी भी तरह की शिकायत का मौका न मिले.

यह सब कुछ ऐसे दौर में हो रहा है, जब पर्यटक विश्राम स्थल पर बनाया गया इंटरप्रेटेशन सेंटर की हालत खस्ता है. लाखों रुपये की लागत से बने इस इंटरप्रेटेशन सेंटर की अधिकांश मशीनें खराब हो गई हैं. लाखों की लागत से बनाया गया ओपन एयर थियेटर भी आज तक शुरु नहीं हो पाया है और बारनवापारा आने वाले पर्यटक निराश हो कर लौट रहे हैं.

0 thoughts on “बारनवापारा में यह कैसा पर्यटन

  • vijay

    घटिया लेख है पत्रकार रुढ़िवादी और अपरिपक्व है ,इतना अच्छा कम सराहना करनी चाहिए ,टाँगें खिची जा रही है ,पर्यटकों को जितनी सुविधाए मिलेंगीं उतने ही टूरिज्म को बदावा मिलेगा

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    • पर्यटकों को सुविधा देने के लिये मॉल क्यों नहीं खोल लेते? लंपटई की हद है. इको टुरिज्म का नाम लेते हैं तो इको टुरिज्म का मतलब भी समझो. पब, बार, डांस क्लब शहरों के लिये ठीक हैं. जंगल में जल-जंगल-जमीन को ठीक रहने दो.

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