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बस्तर है कश्मीर से खतरनाक

रायपुर | संवाददाता: बस्तर आज कश्मीर से भी ख़तरनाक क्यों है? इस सवाल का जवाब असल में आंकड़ों में ही है. पिछले कुछ सालों के गृह मंत्रालय के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि छत्तीसगढ़ का बस्तर, दुनिया में खतरनाक माने जाने वाले जम्मू-कश्मीर से भी आगे है.

पिछले तीन सालों में बस्तर में कश्मीर से भी ज्यादा नागरिक मारे गये हैं. कश्मीर में पिछले तीन सालों में आतंकी गतिविधियों के कारण 66 नागरिकों की जानें गई हैं वहीं बस्तर में वामपंथी अतिवाद के चलते 97 नागरिक मारे गये हैं. दूसरा सबसे महत्वपूर्ण तथा ध्यान खींचने वाली बात यह है कि कश्मीर में पिछले तीन सालों में नागरिकों की मौत की संख्या क्रमशः घट रही है जबकि बस्तर में लगातार बढ़ रही है. कश्मीर में साल 2014 से 2016 के बीच क्रमशः 32, 20 और 14 नागरिक मारे गये हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के बस्तर में साल 2014 से 2016 के बीच क्रमशः 25, 34 और 38 नागरिक मारे गये हैं.

गौरतलब है कि कश्मीर में जम्मू-कश्मीर में साल 2014 में आतंकी गतिविधियों में 32 नागरिक, 51 सुरक्षा बल तथा 110 आतंकी मारे गये थे. साल 2015 में आतंकी गतिविधियों में 20 नागरिक, 41 सुरक्षा बल तथा 113 आतंकी मारे गये थे. इसी तरह से साल 2016 में आतंकी गतिविधियों में 14 नागरिक, 88 सुरक्षा बल तथा 165 आतंकी मारे गये थे.

जबकि छत्तीसगढ़ में साल 2014 में माओवादी गतिविधियों में 25 नागरिक, 55 सुरक्षा बल तथा 33 आतंकी मारे गये थे. साल 2015 में माओवादी गतिविधियों में 34 नागरिक, 41 सुरक्षा बल तथा 45 आतंकी मारे गये थे. साल 2016 में माओवादी गतिविधियों में 38 नागरिक, 36 सुरक्षा बल तथा 133 आतंकी मारे गये थे.

इसके अलावा छत्तीसगढ़ देश में माओवादी हिंसा से पीड़ित राज्यों में सबसे ऊपर में है. 1995 से 19 फरवरी 2017 तक कश्मीर में 10,285 नागरिक, 5316 सुरक्षा बल, 18502 आतंकी मारे गये हैं. जबकि देशभर में माओवादी हिंसा में 19 फरवरी 2017 तक 2967 नागरिक, 1865 सुरक्षाबल, 2542 माओवादी मारे गये हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में इसी दरम्यान 747 नागरिक, 911 सुरक्षाबल, 901 माओवादी मारे गये हैं.

छत्तीसगढ़ की तुलना में आंध्रप्रदेश में इसी दौरान 270 नागरिक, 36 सुरक्षाबल, 426 माओवादी मारे गये हैं. पिछले 3 सालों में 17 नागरिक, 1 सुरक्षाबल, 12 माओवादी मारे गये हैं. इसी दौरान बिहार में 286 नागरिक, 188 सुरक्षाबल, 177 माओवादी मारे गये हैं. पिछले 3 सालों में 19 नागरिक, 25 सुरक्षाबल और 14 माओवादी मारे गये हैं.

जबकि झारखंड में 633 नागरिक, 320 सुरक्षाबल, 518 माओवादी मारे गये हैं. पिछले 3 सालों में 95 नागरिक, 27 सुरक्षाबल, 114 माओवादी मारे गये हैं.

महाराष्ट्र में 157 नागरिक, 124 सुरक्षाबल, 165 माओवादी मारे गये हैं. पिछले 3 सालों में 29 नागरिक, 18 सुरक्षाबल, 24 माओवादी मारे गये हैं.

इसी तरह से ओडिशा में 315 नागरिक, 194 सुरक्षाबल, 223 माओवादी मारे गये हैं. जबकि पिछले 3 सालों में 78 नागरिक, 8 सुरक्षाबल, 53 माओवादी मारे गये हैं.

हालांकि, पिछले तीन सालों में झारखंड को छोड़कर छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा नागरिक मारे गये हैं. लेकिन झारखंड में साल 2014 से 2016 से बीच क्रमशः 48, 16 और 31 नागरिक मारे गये हैं जबकि छत्तीसगढ़ में इसी दरम्यान 25, 34 और 38 नागरिक मारे गये हैं.

माओवादी हिंसा के आंकड़े लगातार गहरा रहे हैं और इससे निपटने के सरकारी दावे भी. लेकिन ज़मीन पर अभी लड़ाई दूर नज़र आती है.

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