खेल

बीसीसीआई: डालमिया रिटर्न्स

चेन्नई | समाचार डेस्क: जगमोहन डालमिया की सोमवार को आधिकारिक तौर पर बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर वापसी हुई. डालमिया का चयन यहां आयोजित वार्षिक आम बैठक में हुआ. डालमिया करीब 10 साल बाद दोबारा बीसीसीआई के अध्यक्ष चुने गए हैं. बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए बोर्ड के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार का गुट आमने-सामने था.

माना जा रहा है कि डालमिया को दोनों गुटों का समर्थन प्राप्त है. डालमिया के अलावा, हरियाणा क्रिकेट संघ के प्रमुख अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के नए कोषाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अनुराग ठाकुर सचिव के रूप में चुने गए हैं. इससे पहले डालमिया पूरे पांच वर्ष तक बीसीसीआई को अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं तथा उनका कार्यकाल 2004 में समाप्त हुआ था.

बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा, “डालमिया की ओर से तीन नामांकन दिए गए हैं. बीसीसीआई से संबद्ध पूर्व क्षेत्र के सभी छह सदस्यों ने या तो डालमिया के नाम का प्रस्ताव दिया या अनुमोदन किया.”

इस बार बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए पूर्व क्षेत्र की बारी थी और बंगाल क्रिकेट संघ अध्यक्ष डालमिया ने कोलकाता स्थित नेशनल क्रिकेट क्लब और पूर्व क्षेत्र के चार अन्य क्लबों के समर्थन से अपना नामांकन दाखिल किया था.

गौरतलब है कि श्रीनिवासन पर सर्वोच्च न्यायालय ने ‘हितों के टकराव’ का हवाला देते हुए बीसीसीआई में किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. यहां तक कि श्रीनिवासन वार्षिक बैठक में भी हिस्सा नहीं ले सकते थे, हालांकि उन्हें तमिलनाडु क्रिकेट संघ के नॉमिनी के तौर पर अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अपना मत डालने की अनुमति थी.

बीसीसीआई के 2005 से 2008 तक अध्यक्ष रह चुके शरद पवार खुद अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन पूर्व क्षेत्र से एक भी प्रस्तावक या अनुमोदक न मिलने के कारण वे नामांकन नहीं डाल सके.

बाद में हालांकि पवार के एक नजदीकी ने दावा किया कि पवार ने भी डालमिया का समर्थन किया है.

गौरतलब है कि शनिवार की देर रात तक पवार गुट डालमिया पर बीसीसीआई पैट्रन इन चीफ पद से समझौता करने का और अध्यक्ष पद के लिए पवार को समर्थन देने का दबाव बना रहा था.

डालमिया ने लेकिन परिस्थितियां अपने पक्ष में देखते हुए खुद अध्यक्ष पद के लिए दावा करने का फैसला लिया.

अध्यक्ष पद के अलावा सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव सभी पदों के लिए कई दावेदार मैदान में थे.

श्रीनिवासन गुट की ओर से संजय पटेल, अनिरुद्ध चौधरी और अमिताभ चौधरी ने क्रमश: सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के लिए नामांकन दाखिल किए थे.

दूसरी ओर शरद पवार गुट की ओर से अनुराग ठाकुर ने सचिव के लिए, राजीव शुक्ला ने कोषाध्यक्ष के लिए तथा चेतन देसाई ने संयुक्त सचिव पद के लिए नामांकन दाखिल किए थे.

डालमिया ने 1983 में कोषाध्यक्ष के रूप में बीसीसीआई में प्रवेश किया. उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष भारतीय टीम विश्व कप जीती थी. बाद में वह इसके सचिव बने और 1997 में तीन वर्ष के लिए अध्यक्ष चुने गए.

डालमिया इसके बाद 2001 में एक बार फिर पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने गए और 2004 तक कार्यकाल समाप्त होने तक पद पर बने रहे.

डालमिया ने इसके बाद भी अगले एक वर्ष तक बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे अपने विश्वासपात्र रणबीर सिंह महेंद्र के जरिए बीसीसीआई पर अपनी पकड़ बनाए रखी.

डालमिया और उनके गुट को हालांकि 2005 में पवार गुट के हाथों सारे पद गंवाने पड़े. न सिर्फ पवार बहुमत से अध्यक्ष चुने गए बल्कि बीसीसीआई के अन्य लगभग सभी पदों पर उनके विश्वासपात्र भी चुन लिए गए.

डालमिया के खिलाफ एक पुलिस जांच के कारण उन्हें दिसंबर 2006 में बीसीसीआई से बर्खास्त कर दिया गया, बल्कि सीएबी अध्यक्ष पद से भी उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2013 में निर्वासित कर दिए गए श्रीनिवासन की जगह डालमिया को एक बार फिर न्यायालय ने अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया.

error: Content is protected !!