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भागवत के बयान से ईसाई समुदाय सदमें में

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली कैथोलिक ऑर्कडॉयोसिस ने मंगलवार को कहा कि ईसाई समुदाय मोहन भागवत द्वारा मदर टेरेसा पर दिए गए बयान से सदमे में हैं. ईसाई समुदाय का मानना है कि अब समय आ गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करें कि वह धार्मिक द्वेष भड़काने के मामलों को अब बर्दास्त नहीं करेंगे. भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने हालांकि मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

संबित पात्रा ने कहा, “मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा.”

भागवत ने सोमवार को राजस्थान में कहा था कि मदर टेरेसा ने गरीबों की सहायता इसलिए की, क्योंकि वे उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित करना चाहती थीं.

दिल्ली कैथोलिक ऑर्कडॉयोसिस के प्रवक्ता फादर सवारिमुथु शंकर ने मोहन भागवत को संकीर्ण सोच वाला और गलत जानकारी रखने वाला बताया और उनकी आलोचना की.

उन्होंने कहा, “मदर टेरेसा के खिलाफ इस तरह के आरोप उस समय भी लगे थे जब वह जिंदा थीं. वह मातृत्व की प्रतीक हैं. आज फिर एक व्यक्ति किसी एक गुप्त उद्देश्य के लिए उन पर आरोप लगा रहा है.”

शंकर ने कहा, “आप उनके व्यक्तित्व का अपमान कर रहे हैं. एक ओर आप उनके काम को सराहते हैं और नोबल पुरस्कार विजेता के तौर पर उन्हें स्वीकारते हैं तो वहीं दूसरी ओर आप उन पर धर्म परिवर्तन के उद्देश्य का आरोप लगाते हैं. यह भागवत की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है. वह धार्मिक परिवर्तन के संकीर्ण चश्मे से बाहर नहीं देख पा रहे हैं. वह उस मानसिकता में बुरी तरह जकड़ गए हैं.”

भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “आपने कहा था कि आप देश में धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करेंगे, लेकिन आपके हिंदुत्ववादी सहयोगी का तो विचार ही भिन्न है. उनकी कथनी और करनी के बीच कोई उचित समानता नहीं है.”

उन्होंने कहा, “मोदी कहते हैं कि हम धार्मिक असहिष्णुता बर्दास्त नहीं करेंगे. लेकिन उन्हें आरएसएस जैसे इन तत्वों पर भी अंकुश लगाना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “जब मोदी कहते हैं कि वह आरएसएस के प्रचारक हैं तो वह अपने नेता भागवत को अस्वीकार्य नहीं कर सकते.”

शंकर ने कहा, “समय आ गया कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर अपना मत स्पष्ट करें. आपने कहा था कि आप धार्मिक असहिष्णुता बर्दास्त नहीं करेंगे, फिर मोहन भागवत पर कार्रवाई कर इस बात को सच साबित करें.”

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