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भाजपा में अब लखनऊ पर रार

लखनऊ | समाचार डेस्क: भाजपा में अब लखनऊ सीट पर घमासान मच गया है. भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के लचीले रुख की वजह से पार्टी में वाराणसी लोकसभा सीट को लेकर चल रही खींचतान से अभी नरम पड़ी ही थी कि लखनऊ सीट को लेकर एक बार फिर पार्टी के अंदर तकरार शुरू हो गई है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, लखनऊ से वर्तमान सांसद लालजी टंडन ने यह साफ कर दिया है कि वह सिर्फ पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए ही यह सीट छोड़ सकते हैं और मोदी के यहां से नहीं लड़ने की स्थिति में उनकी दावेदारी पक्की है.

उधर, उप्र में इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे. वाराणसी के अलावा प्रयागनगरी इलाहाबाद से भी मोदी के चुनाव लड़ने की मांग हो रही है और इसे लेकर बकायदा जल सत्याग्रह भी किया गया.

उप्र में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी हालांकि इस मसले पर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, वाराणसी से मोदी की उम्मीदवारी को लेकर अभी मामला शांत भी नहीं हुआ कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ और लखनऊ से सांसद टंडन के बीच ठन गई है. टंडन लखनऊ सीट मोदी के अलावा किसी के लिए छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

पार्टी के पदाधिकारियों की मानें तो टंडन ने केंद्रीय नेतृत्व को साफ तौर पर यह बता दिया है कि यदि लखनऊ से मोदी चुनाव नहीं लड़ते हैं तो वह खुद इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. टंडन के इस अड़ियल रवैये के बाद अब राजनाथ के सामने मुसीबत पैदा हो गई है.

सूत्र यह भी बताते हैं कि टंडन ने इस बार राजनाथ से लड़ने का पूरा मन बना लिया है, इसलिए पिछले कई दिनों से वह राजधानी में अपनी बिसात बिछाने में लगे हुए हैं और समाचार पत्रों के माध्यम से भी अपनी इच्छा का इजहार कर रहे हैं.

इस बीच, सूत्रों का कहना है कि लखनऊ लोकसभा सीट को लेकर यदि टंडन और राजनाथ के बीच पेंच फंसता है तो यह सीट किसी तीसरे के खाते में जा सकती है. ऐसे में बाजी राज्यसभा सांसद कुसुम राय या लखनऊ के महापौर दिनेश शर्मा के हाथ भी लग सकती है.

उल्लेखनीय है कि राय और शर्मा की नजर भी पहले से ही इस सीट पर है और इसे लेकर वह पिछले कई महीने से तैयारी कर रहे हैं.

लखनऊ लोकसभा सीट से उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि यह पार्टी को तय करना है कि लखनऊ से कौन लड़ेगा. जाहिर सी बात है कि पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में जो भी नाम तय किया जाएगा, वही चुनाव लड़ेगा.

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