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कितने खाताधारक हैं, तीन सरकार!

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कालेधन के तीन खातेदारों का नाम जमा किया है. इसी के साथ एनडीए सरकार पर विपक्ष का हमला तेज हो गया है. विपक्ष की मांग है कि जब करीब 800 खातेदारों के नाम सरकार के पास हैं तो केवल तीन नाम ही क्यों उजागार किये गये हैं. केन्द्र सरकार ने डाबर समूह के प्रमोटर परिवार के सदस्य प्रदीप बर्मन, राजकोट के सोना-चांदी कारोबारी पंकज चिमनलाल लोधिया और गोवा की खनन कंपनी टिमब्लो प्राइवेट लिमिटेड तथा इसकी निदेशक राधा सतीश टिमब्लो कदा नाम हलफनामे के साथ सुप्रीम कोर्ट में जमा किया है. इसी के साथ चेतन एस. टिमब्लो, रोहन एस. टिमब्लो, अन्ना सी. टिमब्लो और मलिका आर. टिमब्लो. का नाम भी शामिल है. वहीं, सरकार ने कहा कि इन सभी ने विदेशी बैंकों में धन जमा कर रखा है और उनके खिलाफ कर चोरी मामले में प्रक्रिया शुरू की गई है. अदालत से सरकार ने कहा कि बर्मन की सूचना फ्रांस सरकार से तथा अन्य नाम की सूचना दूसरे देशों की सरकारों से मिली है.

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को दायर हलफनामे में कहा कि विदेशी सरकारों की तरफ से ऐसे भारतीय खाताधारकों की दी गई जानकारी व नामों को छिपा कर रखने की उसकी कोई मंशा नहीं है, जिन्होंने इन खातों में ऐसे धन रखे हैं, जिन पर कर का भुगतान नहीं किया गया है. कुछ रपटों के मुताबिक इससे संबंधित एक सूची में 780 नाम हैं.
सरकार ने कहा, “सरकार विदेशों में छुपे काले धन को सामने लाना चाहती है और इस मकसद को पूरा करने के लिए वह सभी वैधानिक और कूटनीतिक उपाय करेगी और सभी जांच एजेंसियों की मदद लेगी.”

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि विदेशी बैंक में खोला गया हर खाता अवैध हो यह जरूरी नहीं. साथ ही नामों का खुलासा तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि गलत काम का को कोई प्रमाण न मिल जाए. सरकार ने यह भी कहा कि कार्यभार संभालने के बाद ही इसने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार, विदेशों में जमा किए गए काले धन की जांच के लिए 29 मई, 2014 को एक विशेष टीम गठित कर दी थी.

सरकार ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह अपने पुराने आदेश में संशोधन करे, जिसमें उनसभी के नाम सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था, जो सरकार को मार्च 2009 में जर्मनी से मिले थे और जिनके खाते लिचेंस्टीन के एलजीटी बैंक में हैं.

डाबर इंडिया की सफाई
डाबर इंडिया ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि उसके पूर्व निदेशक प्रदीप बर्मन ने विदेशी बैंक में खाता उस वक्त खोला था, जब वह अनिवासी भारतीय (एनआरआई) थे और उन्हें इसकी वैधानिक अनुमति मिली थी. बयान में कहा गया है, “हमने सभी कानूनों का पालन किया है और खाते से संबंधित पूर्ण विवरण स्वेच्छया और कानून के अनुसार आयकर विभाग को दिए हैं, और उचित कर अदा किए हैं. इसलिए, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर व्यक्ति जिसके विदेशी बैंकों में खाते हैं, उसे एक ही दृष्टि से देखा जाए.”

पंकज लोधिया की सफाई
पंकज लोधिया ने हालांकि एक निजी चैनल से कहा कि स्विस बैंक में उनका कोई खाता नहीं है और उन्होंने आयकर विभाग को सारी सूचना दे रखी है. उन्होंने कहा कि उनका नाम सरकार की सूची में देखकर वह दंग है और उनका कोई राजनीतिक रसूख नहीं है. पंकज श्रीजी ट्रेडिंग कंपनी के मालिक हैं. कंपनी सोने चांदी का कारोबार करती है. श्रीजी समूह पहले गुजरात और अन्य राज्यों में रियल्टी कारोबार से जुड़ी थी.

टिमब्लो ने कहा
गोवा की खनन कारोबारी राधा एस. टिमब्लो ने कहा कि वह पहले हलफनामे का अध्ययन करेंगी. उन्होंने कहा, “मैं अपनी प्रतिक्रिया सर्वोच्च न्यायालय में दूंगी.”

सीपीआई
सरकार की आलोचना करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने कहा, “सरकार को कई सवालों के जवाब देने होंगे. सरकार सभी नामों का खुलासा करने से कतरा रही है. इससे सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का पता चलता है.” उन्होंने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि जेटली ने कहा था कि कुछ नाम कांग्रेस पार्टी को लज्जित करेंगे. उन्होंने पूछा, “उन नामों का क्या हुआ? नेताओं के नामों का खुलासा क्यों नहीं किया गया?”

कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा ने भी कहा कि सोमवार की कार्रवाई उस वादे के विपरीत है, जिसमें कहा गया था कि खुलासा जल्दी किया जाएगा. झा ने कहा, “भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर काला धन वापस लाया जाएगा.” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि कुछ नामों को चुन कर खुलासा करना अनैतिक है. उन्होंने कहा, “सरकार को कानून के मुताबिक सभी नामों का खुलासा करना चाहिए.”

आम आदमी पार्टी का आरोप
आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार सभी नामों का खुलासा इसलिए नहीं कर रही है, क्योंकि वह जानती है कि सूची में उन लोगों के नाम हैं जो भारतीय जनता पार्टी के करीबी हैं. केजरीवाल ने कहा, “नौ नवंबर, 2012 को हमने तीन व्यक्तियों -परमिंदर सिंह कालरा, विक्रम धिरानी और प्रवीण शाहनी- द्वारा आयकर अधिकारियों के समक्ष दिए गए बयानों का खुलासा किया था.” ये बयान आयकर अधिकारियों के सामने तब दिए गए थे, जब तीनों के परिसरों पर छापे मारे गए थे. केजरीवाल ने कहा, “इन तीनों ने अपराध स्वीकार किया था. लेकिन आश्चर्य कि उन तीनों के नाम वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई सूची में नहीं है. क्यों?”

केजरीवाल ने कहा, “आज भाजपा सरकार ने तीन नामों का खुलासा किया है, जिसमें से एक प्रदीप बर्मन हैं. दो वर्ष पहले हमने जो सूची जारी की थी, उसमें बर्मन का नाम शामिल था, लिहाजा इससे हमारे द्वारा जारी की गई सूची सत्यापित हो जाती है.”

प्रणीत कौर
प्रणीत कौर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अब लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि 2011 में आयकर विभाग ने विदेशी बैंक खाते पर उन्हें एक नोटिस भेजा था. कौर ने सोमवार को यहां जारी अपने बयान में कहा, “इस मामले में मैं स्वीकार करती हूं कि 2011 में मुझे ऐसा नोटिस मिला था. मैंने उसका जवाब दिया था, जिसमें इस तरह के आरोप को गलत बताया था.” अभी पंजाब की विधायक कौर ने कहा, “मैं कहना चाहती हूं कि मेरे नाम से किसी भी विदेशी बैंक में कोई खाता न तो कभी था और न अभी है.”

गौरतलब है कि देश के नागरिकों का कितना धन विदेशी बैंकों में जमा है, इस पर कोई औपचारिक आंकड़ा नहीं है. अनौपचारिक अनुमानों में 466 अरब डॉलर से 1,400 अरब डॉलर काला धन विदेशी बैंकों में जमा होनेकी बात की गई है.

उद्योग जगत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उद्योग संघ एसोचैम ने हालांकि एक दिन पहले कहा था बिना आधार के नामों को सार्वजनिक करने से काले धन के खिलाफ जारी अभियान बेकार हो जाएगा.

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