कलारचना

मैं स्टार न बन सका: नसीरुद्दीन

जयपुर | मनोरंजन डेस्क: अपनी अभिनय क्षमता से बालीवुड में धाक जमा देने वाले नसीरुद्दीन शाह को इस बात का मलाल है कि वे कभी स्टार न बन सके. अपने स्टार बन पाने की चाहत वाले नसीरुद्दीन शाह को शायद इस बात का गुमान नहीं है कि उनके समान अभिनय बड़े-बड़े स्टार नहीं कर सकते हैं. नसीरुद्दीन शाह ने अभिनय क्षमता की बदौलत बालीवुड को ऐसी फिल्में दी है जिन्हे आज भी याद किया जाता है. जिनमें ‘भूमिका’, ‘पीपली लाइव’, ‘मोहन जोशी हाजिर हो’, ‘उमराव जान’, ‘आक्रोश’, ‘अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्या आता है’, ‘सरफ़रोश’, ‘मासूम’, ‘जाने भी दो यारों’ आदि शामिल हैं. देखने में कम आकर्षक होने के बावजूद भी नसीरुद्दीन शाह के चेहरे की भाव-भंगिमा अनायस ही उनके किरदार को पर्दे पर सजीव कर देती थी. सुप्रसिद्ध बॉलीवुड कलाकार नसीरुद्दीन शाह को अपनी पहली फिल्म ‘निशांत’ अभिनय में उनकी दक्षता के कारण मिली थी. एक औसत रंग-रूप वाले अभिनेता होने के बावजूद अपनी इस काबिलियत की बदौलत उन्होंने फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल के दिल में जगह बना ली थी. बेनेगल ने उन्हें प्रमुख भूमिका दी थी.

नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “देखने में कम आकर्षक होने के कारण मुझे अपनी प्रेमिका खोनी पड़ी थी. लेकिन मुझे काम इसीलिए मिला क्योंकि मैं देखने में औसत था.”

65 वर्षीय अभिनेता नसीरुद्दीन शाह जयपुर साहित्योत्सव के उद्घाटन दिवस पर ‘और फिर एक दिन..’ नाम से आयोजित सत्र में लेखक और अभिनेता गिरीश कर्नाड से बातचीत कर रहे थे.

दिलचस्प बात यह है कि दोनों के बीच दोस्ती का एक लंबा इतिहास है.

कर्नाड जिस समय भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के निदेशक थे, उस समय नसीरुद्दीन वहां पर छात्र थे. कर्नाड ने ही श्याम बेनेगल को नसीरुद्दीन का नाम सुझाया था. बेनेगल फिल्म के लिए आकर्षक दिखने वाला अभिनेता नहीं चाहते थे.

कर्नाड ने कहा, “एक बार नसीरुद्दीन मेरे पास आए और पूछा कि क्या मुस्लिम होने के कारण उन्हें अभिनय में कैरियर बनाने में कुछ बाधा होगी? मैंने उन्हें कहा कि दिलीप कुमार भी एक मुस्लिम हैं और उन्हें हर कोई चाहता है.”

फिल्मों में शानदार तरीके से पदार्पण करने के बावजूद शाह ने याद करते हुए बताया कि तत्काल प्रसिद्धि पाना उनके लिए कितना मुश्किल था और बेरोजगारी के समय में उन्होंने कैसे अपना संघर्ष का समय गुजारा.

बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ ने हालांकि नसीरुद्दीन के कैरियर की दिशा बदल दी. इस फिल्म में कर्नाड ने भी अभिनय किया था. इसके बाद शाह ने ‘स्पर्श’, ‘आक्रोश’ और ‘मंदी’ जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया.

नसीरुद्दीन शाह को स्टार न होना खलता था. उन्होंने स्वीकार किया कि वे फिल्म उद्योग में कलात्मक फिल्में करने के उद्देश्य से नहीं आए थे, लेकिन अपने औसत रंग-रूप के कारण वह धीरे-धीरे इस डोर में बंध गए.

नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “मैं कभी भी एक स्टार नहीं बन पाया और मैं स्वीकार करता हूं कि यह मेरे लिए बहुत ही हताश करने वाला था.”

उन्होंने कहा, “लेकिन उसके बाद मैंने अपने चेहरे को गौर से देखा और महसूस किया कि मैं इसे बदल सकता हूं. यहां तक कि अपने शुरू के दिनों में मेरी अपनी दाढ़ी बढ़ाने की आदत थी, और मेरी सबसे बड़ी सफलता वह होती थी जब मेरी मां मुझे पहचान नहीं पाती थीं.” फिल्म ‘मासूम’ में नसीरुद्दीन शाह ने सईंद ज़ाफरी के साथ मिलकर एक डांस किया था जिसके आगे बड़े-बड़े पानी पानी मांगते हैं.

huzoor is kadar bhi na itraa ke chaliye-

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