छत्तीसगढ़

#AjitJogi अब किससे जूझेंगे ?

त्वरित टिप्पणी| अन्वेषा गुप्ता: नई पार्टी की घोषणा के बाद अजीत जोगी किसके खिलाफ़ मोर्चा खोलेंगे यह सबसे अहम है. राज्य में शक्ति का केन्द्र बनने के लिये सत्तारूढ़ दल से मुकाबला करना पड़ता है. जबकि अजीत जोगी पर अंतागढ़ टेपकांड के खुलासे के बाद आरोप लगा कि उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी को जितवाने के लिये कांग्रेस के प्रत्याशी का नामांकन वापस करवाने में अहम भूमिका निबाही थी.

उल्लेखनीय है कि 2014 में 13 सितंबर को बस्तर के अंतागढ़ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था, जिसमें कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया था. हालत ये हुये थे कि नामांकन वापसी के अंतिम दिन भाजपा ने निर्विरोध चुनाव जीतने के लिए कोशिशें शुरू की और एक-एक कर 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान से हट गये.

दिसंबर 2015 में इंडियन एक्सप्रेस ने एक आडियो टेप के हवाले से समाचार दिया था कि 2014 में अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए धन का लेन-देन हुआ था. इस अंतागढ़ टेप के सार्वजनिक होने के बाद ही अमित जोगी को पार्टी से निष्कासित किया गया.

उस समय छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा था, ”इस टेप के सार्वजनिक होने के बाद यह बात साफ़ हो गई है कि कांग्रेस को कौन लोग कमज़ोर कर रहे हैं. ऐसे लोगों को पार्टी में एक मिनट भी रहने का अधिकार नहीं है. हमने इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से भी चर्चा की है.” अजीत जोगी पर आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिये अपनी ही पार्टी के मंतूराम पवार से नामांकन वापस करवाया था.

सोमवार को अजीत जोगी ने कोटमी के मंच से उसी रमन सरकार को ललकारा है परन्तु उन्हें अपनी नई घोषित पार्टी को अमलीजामा पहनाने के लिये सबसे कांग्रेस से ही पहले जूझना पड़ेगा अन्यथा भाजपा या अन्य दलों के कार्यकर्ता तो उनकी पार्टी में शामिल होने से रहे. कांग्रेस में उनके खेमे के विधायक, नेता तथा कार्यकर्ता हैं जिन्हें नई पार्टी के काम में लगाना उनकी फौरी जरूरत है.

दूसरी संभावना है कि कुशल रणनीति बनाने में माहिर अजीत जोगी विधायकों से तत्काल विद्रोह करवाने के बजाये उनसे कांग्रेस में बने रहकर ही संगठन खेमें की परेशानी में इज़ाफ़ा करा सकते हैं. आखिरकार अपने समर्थक विधायकों को नई पार्टी में शामिल करके वह संगठन खेमें को शांति से काम नहीं करने देंगे. दूसरी तरफ दल बदल कानून के अनुसार इसके लिये एक निश्चित संख्या में विधायकों की जरूरत है.

सोमवार को जोगी तथा कांग्रेस संगठन ने एक दूसरे से आजादी का जश्न मानाया. अजीत जोगी ने जहां कहां कि मैं आजाद हो गया हूं वहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कार्यालय में फटाके फोड़े गये. अब कौन किससे आजाद हुआ है यह आने वाले समय में ही मालूम चलेगा तथा इससे किसे लाभ पहुंचा है यह भी सामने आना है. परन्तु अजीत जोगी को नई पार्टी को संगठित कर अगले विधानसभा चुनाव के लिये तैयार करने के लिये जूझना पड़ेगा भाजपा से भी कांग्रेस से भी. इसमें वे किसे वरीयता देते हैं इसे जनता देखेगी?

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