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छत्तीसगढ़: सुरक्षित नहीं निजी फैक्ट्रियां?

रायपुर | संवाददाता: क्या छत्तीसगढ़ के निजी कारखाने कामगारों के लिये सुरक्षित हैं? यह सवाल दरअसल उन आंकड़ों के बाद किया जा रहा है जो सरकार ने जारी किये हैं. हालिया जारी आंकड़ों से तो यही इंगित कर रहें हैं कि पिछले 3 सालों से छत्तीसगढ़ के निजी कारखानों में सार्वजनिक क्षेत्र के कारखानों की तुलना में ज्यादा मौते हुई हैं. इसके लिये कोरबा तथा रायगढ़ का उदाहरण ही काफी है जहां पर इन दिनों कल-कारखानों की बाढ़ सी आ गई.

कल-कारखाने विकास के लिये आवश्यक हैं. इससे बेरोजगारों को नौकरी मिलती है. लेकिन कारखानों में काम करने वाले कामगारों के जीवन की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी है, कारखाने के मालिक की या खुद कामगार की. इसी के साथ उन सरकारी विभागों से भी सवाल किया जाना चाहिये जिन पर कारखानों का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी है.

कोरबा में साल 2015 में सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने में 2 कामगारों की मौत हुई थी जबकि इसी अवधि में निजी कारखानों में 7 कामगारों की मौत हुई थी. कोरबा के पाली में स्थित मारुति क्लीन कोल पॉवर लिमिटेड में एक ही दिन में 5 कामगारों की मौत हुई थी. इस साल लैंको इन्फ्राटेक तथा एसव्ही पॉवर प्राइवेट लिमिटेड में 1-1 कामगार की दुर्घटना में मौत हुई थी.

कोरबा में ही साल 2016 में लैंको इन्फ्राटेक लिमिटेड में 4 कामगारों तथा हसदेव थर्मल पॉवर प्लांट दर्री में 1 कामगार की मौत हुई थी.

इसी तरह से रायगढ़ में साल 2014-15 में सार्वजनिक उपक्रम में 2 तथा निजी कारखाने में 12 कामगारों की मौत हुई थी. साल 2015-16 में निजी कारखाने में 8 कामगारों की मौत हुई थी. साल 2016-17 में जनवरी माह तक सार्वजनिक उपक्रम में 1 कामगार तथा निजी कारखाने में 6 कामगारों की मौते हो चुकी है.

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