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छत्तीसगढ़: NMDC में कामबंद हड़ताल होगी

जदगलपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बस्तर के प्लांट के निजीकरण के खिलाफ देशभर के NMDC कर्मचारी दो दिन काम बंद रखेंगे. जगदलपुर में देशभर के एनएमडीसी से जुटे कर्मचारी नेताओं ने फैसला लिया है कि नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ 20-21 फरवरी को उऩके कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहेंगे. इन दो दिनों में एनएमडीसी में काम बंद रहेगा. जगदलपुर में बुधवार को टाउन हाल में अखिल भारतीय एनएमडीसी कर्मचारी संघ के बैनर तले पन्ना, पालवंचा, बचेली और नगरनार में काम करने वाले कर्मचारी अलग-अलग ट्रेड यूनियन के सदस्य एक साथ एक जगह जमा हुये.

इस दौरान सभी ने एक साथ निर्णय लिया कि कुछ भी हो जाये केंद्र सरकार को एनएमडीसी के नगरनार संयत्र को निजी हाथों में नहीं जाने दिया जायेगा. गौरतलब है कि एनएमडीसी के निजीकरण का विरोध राजनीतिक दलों के साथ स्थानीय लोग भी कर रहे हैं. प्रभावित गांव के किसानों ने तो धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने विरोध में नगरनार से जगदलपुर तक पदयात्रा की तो जोगी कांग्रेस ने अजीत जोगी की सभा यहां आयोजित करवाई.

एनएमडीसी के कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार आते ही निजीकरण की शुरूआत होती है. पहले अटल बिहारी बाजपेयी ने सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण के लिये मंत्रालय बनाया, अब नरेंद्र मोदी सीधे संयत्र बेच रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग की सिफारिश पर नगरनार स्टील प्लांट का विनिवेशीकरण प्रस्तावित है. नीति आयोग की सिफारिश पर इस नगरनार स्टील प्लांट को विनिवेश की सूची में डाल दिया गया है जिसे केन्द्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इस खबर के बाद दक्षिण कोरिया की कंपनी पॉस्को 15 हजार 500 करोड़ रुपये का प्रस्ताव लेकर एनएमडीसी के पीछे लग गई है.

बस्तर अधिसूचित क्षेत्र में होने के कारण यहां संविधान की पांचवी अनुसूची लागू है. इस कारण से यहां भूमि-अधिग्रहण करना काफी जटिल है. लेकिन सरकारी कंपनी होने के कारण बस्तर में नगरनार प्लांट के लिये लगने वाली भूमि का अधिग्रहण करने में कोई परेशानी नहीं आई थी. साल 2000-01 के समय जब अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे उस समय इस संयंत्र के लिये पहला भू-अधिग्रहण हुआ था. उस समय नगरनार प्लांट के लिये 1000 एकड़ जमीन अधिग्रहित करके दी गई थी.

अब जब भूमि अधिग्रहण करने के बाद प्लांट के निर्माण का काम आधा हो चुका है नीति आयोग की सिफारिश पर इस नगरनार स्टील प्लांट को विनिवेश की सूची में डाल दिया गया है.

अब न तो नगरनार स्टील प्लांट के लिये भूमि अधिग्रहण करने का झंझट है और ही प्लांट निर्माण का विरोध होगा. इस तरह से सरकारी नीतियों के चलते छत्तीसगढ़ के बस्तर के प्राकृतिक संपदा के दोहन का मौका निजी खिलाड़ियों को मिल जायेगा. कुल मिलाकर अब बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध कर्माचारी, प्रभावित ग्रामीण तथा राजनीतिक दल कर रहें हैं.

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