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बस्तर बाला से रेप पर विवाद बढ़ा

रायपुर | बीबीसी: छत्तीसगढ़ की दो आदिवासी लड़कियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले में सी-60 कमांडो द्वारा कथित बलात्कार के मामले में विवाद बढ़ता जा रहा है. आरोप है कि पुलिस ने इस घटना का विरोध करने वाले दो सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर झूठे मामले में जेल भेज दिया है.

दूसरी ओर गढ़चिरौली ज़िले के कलेक्टर एएसआर नायक ने इन आरोपों का खंडन करते हुये बीबीसी से कहा- “पूरे मामले में कोई तथ्य नहीं है और कुछ लोग अफ़वाह फैला रहे हैं. लड़कियों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं हुआ है. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन पर गंभीर आरोप हैं.”

इधर रविवार को इस मामले की सुनवाई करते हुये नागपुर हाईकोर्ट ने दोनों लड़कियों को सुधार गृह भेजने का आदेश दिया है. अदालत ने यह भी सुनिश्चित करने के लिये कहा कि पुलिस इन दोनों लड़कियों से किसी भी तरह संपर्क में न रहे.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि 20 जनवरी को छत्तीसगढ़ के बस्तर के जोनवारा गांव की दो लड़कियां सीमा से लगे हुये महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के नैनटोला गांव में अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रही थीं, जहां शाम को गढ़चिरौली ज़िले में सी-60 कमांडो ने उन्हें रोक लिया और कथित रूप से रात में उनके साथ बलात्कार किया.

नागपुर हाईकोर्ट के वकील निहाल सिंह राठौर का आरोप है कि इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद यह जानकारी मिली कि दोनों लड़कियों को पुलिस ने छोड़ दिया लेकिन शनिवार को इस मामले में मुक़दमे की तैयारी के लिये निहाल सिंह के कार्यालय पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता सैनू गोटा को सादी वर्दी में आये पुलिस के लोग अपने साथ ले गये.

निहाल के अनुसार- “शाम को मेरे कई वकील साथियों की उपस्थिति में सादी वर्दी में आये पुलिसकर्मियों ने मेरे चेंबर से बिना कोई कारण बताये सैनू गोटा, उनकी पत्नी शीला गोटा और दोनों पीड़ित लड़कियों को उठा लिया और उन्हें अज्ञात स्थान पर ले गये.”

लेकिन गढ़चिरौली के कलेक्टर एएसआर नायक ने पूरे मामले को मनगढ़ंत बताते हुये कहा है कि 20 जनवरी की शाम को एक मुठभेड़ के बाद पुलिस ने घटनास्थल के पास से कुछ लोगों को पकड़ा और उनसे पूछताछ की. बाद में स्थिति को देखते हुये सभी लोगों को रात में वहीं रुकने का सुझाव दिया गया और सुबह सभी लोग सुरक्षित अपने परिजनों के यहां चले गये.

एएसआर नायक ने बीबीसी से कहा- “दोनों लड़कियों के परिजन और माता भी वहां पहुंचे थे, दोनों लड़कियों को उन्हें सौंपा गया. लिखित में उनके बयान हैं, मीडिया के सामने उनके बयान हैं. कथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कहां से उनके साथ दुर्व्यवहार की जानकारी मिली, यह नहीं पता. लेकिन कुछ लोगों ने पूरे मामले में झूठी अफ़वाह फैलाई है. ”

कलेक्टर का कहना था कि लोगों की मांग पर दोनों ही लड़कियों का मेडिकल टेस्ट करवाया गया और लड़कियों ने महिला चिकित्सक, पुलिस और दूसरे लोगों को बार-बार बयान दिया है कि उनके साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.

इधर इस मामले में नागपुर हाईकोर्ट में रविवार को हुई विशेष सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश पर दोनों लड़कियों को अदालत में पेश किया गया. जहां से उन्हें अदालत के निर्देश पर सुधार गृह भेज दिया गया है. अब मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.

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