छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बाघों को बीफ़

रायपुर | बीबीसी: छत्तीसगढ़ में बाघों को बीफ़ दिये जाने पर बवाल शुरु हो गया है. शनिवार सुबह ही एक हिन्दी दैनिक ने इसका खुलासा किया था और शाम होते-होते इसका राजनीतिक विरोध भी शुरु हो गया. छत्तीसगढ़ ही क्यों मुंबई, पुणे, कर्नाटक, राची, त्रिपुरा, तिरुवनंतपुरम, जयपुर तथा हैदराबाद के चिड़ियाघरों में भी बीफ़ दिया जाता है. उल्लेखनीय है कि भिलाई के मैत्रीबाग चिड़ियाघर में बाघ, सिंह और तेंदुआ जैसे जानवरों को भोजन में बीफ़ दिया जाता है. भारत सरकार का उपक्रम भिलाई इस्पात संयत्र इस चिड़ियाघर को संचालित करता है.

छत्तीसगढ़ में गौमांस की बिक्री पर रोक है. इसलिए राज्य में बीफ़ की आपूर्ति अन्य राज्यों से होती है.

वैसे तो देश के ज्यादातर चिड़ियाघरों में बाघ, सिंह और तेंदुए जैसे जानवरों को भोजन में बीफ़ ही दिया जाता है. विवाद तब शुरू हुआ जब भिलाई संयत्र प्रबंधन ने दो साल की बीफ़ सप्लाई के ठेके के लिए बुधवार को एक इश्तिहार दिया.

लगभग एक लाख किलो बीफ़ की आपूर्ति की इस बात पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई है और चेतावनी दी है कि बाघ, सिंह और तेंदुए को बीफ़ देना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं ने भी ‘उग्र’ आंदोलन की चेतावनी दी है. लेकिन भाजपा नेता और केंद्रीय इस्पात मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं, “भिलाई इस्पात संयत्र ने भैंस के मांस के लिए निविदा निकाली है. अगर उसमें कुछ गड़बड़ी होगी तो उसकी जांच करवा ली जाएगी.”

दूसरी तरफ, सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी के वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉक्टर ब्रजकिशोर गुप्ता का दावा है कि चिड़ियाघर के जानवरों को क्या खिलाना है क्या नहीं, ये स्थानीय तौर पर तय होता है. हालांकि दिल्ली के चिड़ियाघर में सफेद गिद्ध या इंडियन स्टार टार्ट्वाइज़ को भी खाने में बीफ़ ही दिया जाता है.

गुप्ता का कहना है, “बाघ या सिंह को मटन भी खिलाया जा सकता है और चिकन भी. नियम केवल इतना भर है कि उसे सही मात्रा में शुद्ध, पौष्टिक और अनुकूल भोजन दिया जाए.”

इन सरकारी चिड़ियाघरों में बाघों को दिया जाता है बीफ़

तिरुवनंतपुरम चिड़ियाघर
सेपाहिजाला बायोलॉजिकल पार्क, त्रिपुरा
डॉ. शिवराम कारंत बायोलॉजिकल पार्क, पिलिकुला, कर्नाटक
नेहरू जुलॉजिकल पार्क, हैदराबाद
भगवान बिरसा जुलॉजिकल गार्डन रांची
जयपुर चिड़ियाघर
आरजी जुलॉजिकल पार्क पुणे
व्हीजेबी उद्यान मुंबई

(स्रोत- सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी और इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट)

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