छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भाजपा इलेक्शन मोड में

अंबिकापुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ भाजपा अभी से इलेक्शन मोड में आ गई है. इसके लिये संगठन को दुरस्त करने का काम चालू है. बुधवार को अंबिकापुर के एक निजी होटल में भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक शुरु हुई. यह बैठक दो दिनों तक चलेगी. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बैठक में कहा कि आने वाले दो साल काफी अहम हैं. केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी और लाभ राज्य के लोगों को मिले, इसे सुनिश्चित करने में कार्यकर्ताओं समेत सबको जुटना होगा.

पहले दिन राजनीतिक प्रस्ताव पारित करने के साथ ही संगठन के बूथ स्तर पर विस्तार के लिए छह सूत्रीय कार्यक्रम को सख्ती से लागू करने का फैसला किया गया.

भाजपा साल 2003 से लगातार छत्तीसगढ़ में सत्ता में है. अगला विधानसभा चुनाव 2018 में होना है. इस बीच कांग्रेस के अजीत जोगी ने पार्टी छोड़ अपनी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) बना ली है. जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री के गांव ठाठापुर से की गई है. जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ़ ताल ठोकी है.

इस नई राजनीतिक परिस्थिति से जूझने के लिये भाजपा अपने संगठन को चुस्त-दुरस्त कर लेना चाहती है. जाहिर है कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस अजीत जोगी को हल्के में लेना चाहती है. इस कारण से कांग्रेस ने जोगी के गढ़ मरवाही में संभागीय सम्मेलन करके इसकी शुरुआत कर दी है.

भाजपा अगले चुनाव में रमन सरकार तथा मोदी सरकार के द्वारा किये गये कामों को भुनाना चाहती है. इसके लिये जरूरी है कि संगठन उन कामों के बारें में जनता को बताये तथा अपना वोट बैंक सुनिश्चित करें.

छत्तीसगढ़ के 2003 के विधानसभा चुनाव में स्व. विद्याचरण शुक्ल द्वारा एनसीपी बनाकर करीब सात फीसदी मत हासिल करने को कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण माना जाता है. साल 2008 में भाजपा के जीत के पीछे रमन सिंह की ‘चाउर वाले बाबा’ की छवि को मुख्य कारण माना जाता है.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से महज 0.70 फीसदी मत ही ज्यादा मिले थे. इस लिहाज से कांग्रेस के जनसमर्थन में इज़ाफा हुआ था.

अजीत जोगी द्वारा हाल ही में अलग पार्टी बना लेने से स्थिति में बदलाव आया है. यदि जोगी कांग्रेस के मतों को कम करते हैं तो भाजपा की जीत निश्चित है. यह तो हुआ कुल मतों का आकलन लेकिन विधानसभा वार आकलन दूसरा दिख रहा है. जोगी कुछ आदिवासी तथा सतनामी बहुल सीटों पर भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे सीटों की संख्या 10 है जिसमें से 9 भाजपा के पास है.

जानकारों का मानना है कि इसी से निपटने के लिये भाजपा सरगुजा में पार्टी कार्यसमिति की बैठक कर रही है. भाजपा इसके बाद बस्तर पर भी जोर लगाये तो आश्चर्य नहीं होगा.

बहरहाल, भाजपा छत्तीसगढ़ में जीत को बनाये रखना चाहती है. 2019 में लोकसभा के चुनाव होने हैं जिसके पहले 2018 में किसी राज्य को खोने का जोखिम भाजपा नहीं उठा सकती है. इस तरह से 2018 के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिये राष्ट्रीय महत्व का है.

जिसकी कमान छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा पार्टी अध्यक्ष धरमलाल कौशिश पर है. दोनों किसी भी रूप में अपने तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.

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