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नोटबंदी की चपेट में अनाज कारोबार

रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ का अनाज कारोबार नोटबंदी की चपेट में आ गया है. अनाज दुकानों का हाल देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो बाजार में भयावह मंदी चल रही है. और लोगों के पास पैसे नहीं हैं. जबकि असलियत कुछ और है. बैंकों में पैसा जमा है तथा लोगों के पास वैध नगदी की समस्या है.

वैध नगदी की कमी के कारण छत्तीसगढ़ के अनाज कारोबार पर संकट आ गया है. छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग,भिलाई, रायगढ़,राजनांदगांव, अंबिकापुर की मंडियों में अनाज का कारोबार 70 फीसदी तक गिर गया है. व्यापारियों का कहना है कि ऐसी खराब हालत कभी भी नहीं रही.

दरअसल, नगदी की कमी के कारण खुदरा व्यापारियों के यहां ग्राहक कम आ रहें हैं जिससे अनाज नहीं के बराबर बिक रहा है. जिससे खुदरा तथा थोक व्यापारी दोनों मंदी की चपेट में आ गये हैं. ज्यादातर अनाज के खुदरा व्यापारियों के स्वाइप मशीने तक नहीं हैं. वैसे कभी इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी. सारा कारोबार नगदी तथा कच्चे में ही चलता रहा.

मिली जानकारी के अनुसार रायपुर में ही रोज अनाज का कारोबार 1 करोड़ रुपये का हो जाता था. जाहिर है कि केवल रायपुर में पिछले 10 दिनों में 10 करोड़ रुपये का घाटा हो गया है. इसे पूरे छत्तीसगढ़ के पैमाने पर देखे तो 100 करोड़ से भी ज्यादा का घाटा हुआ है.

हालांकि, छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन पूरनलाल अग्रवाल ने इस नोटबंदी का स्वागत किया है लेकिन उन्होंने भी माना है कि इससे आम लोगों को तकलीफ हो रही है.

दूसरा, लाख टके का सवाल यह है कि भविष्य में क्या अनाज के व्यापारी स्वाइप मशीने लगाने को तैयार हैं याने कच्चे के काम को पक्का करने को तैयार है.

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