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बीमार सरकारी हेल्थ सर्विस

जेके कर
छत्तीसगढ़ में सरकारी स्वास्थ्य सेवा खुद बीमार है. इसलिये यहां की जनता को निजी चिकित्सकों तथा प्राइवेट नर्सिंग होम की शरण लेनी पड़ती है. जहां पर छत्तीसगढ़ के बाशिंदों को अपनी जेब से खर्च करके इलाज करवाना पड़ता है. जबकि सरकारी अस्पतालों में चंद रुपयों में ईलाज संभव है. केन्द्र सरकार के ताजा ऑकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ देश के उन तीन अग्रणी राज्यों में से है जहां सरकारी अस्पतालों में एलोपैथी चिकित्सकों की कमी सबसे ज्यादा है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में बीमार को भर्ती करने के लिये भी बिस्तरों की संख्या काफी कम है. बता दें कि किसी भी देश, राज्य, संस्थान या क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना करते समय देखा जाता है कि वहां पर औसतन प्रति चिकित्सकों पर कितने नागरिकों की जिम्मेदारी तथा अस्पताल में भर्ती करने के लिये कितने बिस्तर उपलब्ध हैं. इसके अलावा स्वास्थ्य पर किये जा रहे खर्च को भी देखा जाता है.

छत्तीसगढ़ में 1 सरकारी चिकित्सक पर 25 हजार 32 नागरिकों के स्वास्थ्य के देखभाल की जिम्मेदारी है. इस मामले में देश में सबसे खराब हालत बिहार की है जहां पर 1 सरकारी चिकित्सक के जिम्मे 28 हजार 3 सौ 91 नागरिकों की तथा उसके बाद महाराष्ट्र में 27 हजार 7 सौ 90 नागरिकों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है.

राष्ट्रीय स्तर पर 1 सरकारी चिकित्सक पर 11 हजार 5 सौ 28 नागरिकों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है.

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार प्रति 1,000 नागरिकों पर 1 चिकित्सक (सरकारी+निजी) को आदर्श माना जाता है.

जबकि छत्तीसगढ़ के साथ बने राज्यों झारखंड में 19 हजार 7 सौ 86 नागरिकों पर 1 सरकारी चिकित्सक तथा उत्तरांचल में 8 हजार 3 सौ 43 नागरिकों पर 1 सरकारी चिकित्सक हैं.

छत्तीसगढ़ की तुलना में मध्यप्रदेश में 15 हजार 3 सौ 41 नागरिकों पर 1 सरकारी चिकित्सक है.

इस मामले में देश में सबसे अच्छी स्थिति हिमाचल प्रदेश की है जहां पर मात्र 1419 नागरिकों पर 1 चिकित्सक है. इसी तरह से दिल्ली में 2203 नागरिकों पर 1, अरुणाचल प्रदेश में 3072 नागरिकों पर 1, मणिपुर में 3114 नागरिकों पर 1 जम्मू-कश्मीर में 3386 नागरिकों पर 1, गोवा में 4570 नागरिकों पर 1 सरकारी एलोपैथिक चिकित्सक हैं.

ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ में केवल सरकारी चिकित्सकों की कमी है बल्कि यहां पर सरकारी अस्पतालों में अंतः रोगियों की भर्ती के लिये भी बिस्तरों की संख्या भी कम है.

केन्द्र सरकार द्वारा जारी ताजा ऑकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में 416 स्वास्थ्य केन्द्र हैं जहां पर कुल 1,522 बिस्तर हैं. शहरी क्षेत्रों में 221 स्वास्थ्य केन्द्र हैं जहां पर 10,490 बिस्तर हैं. इस तरह से छत्तीसगढ़ में कुल 637 स्वास्थ्य केन्द्रों में 12,012 बिस्तर हैं.

इस तरह से छत्तीसगढ़ के एक स्वास्थ्य केन्द्र पर 39,611 नागरिकों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है तथा भर्ती होने के लिये 2,101 नागरिकों के लिये 1 बिस्तर उपलब्ध है.

जाहिर है कि छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवा में आगे बढ़ने के लिये अपने बजट से और ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. फिलहाल जो व्यवस्था है उसे नाकाफी ही माना जा सकता है.

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