छत्तीसगढ़

गर्भाशय कांड: आ गया एक रुका हुआ फैसला

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने सात डॉक्टरों का लाइसेंस निलंबित कर दिया है. छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने सुनवाई के पश्चात् छत्तीसगढ़ के सात डॉक्टरों का लाइंसेंस विभिन्न अवधि के लिये निलंबित कर दिया है. उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल जोकि डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने के लिये लाइसेंस देती है ने छत्तीसगढ़ गर्भाशय कांड के आरोपी नौ डॉक्टरों पर सुनवाई की थी. 26 नवंबर तथा 12 दिसंबर को डॉक्टरों का पक्ष सुनने के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने इनमें से सात डॉक्टरों का लाइसेंस निलंबित किया है तथा दो डॉक्टरों को निर्दोष पाया है.

जिन डॉक्टरों के लाइसेंस निलंबित किये गये हैं उनमें डॉक्टर पंकज जायसवाल का लाइसेंस दो वर्ष के लिये निलंबित कर दिया गया है तथा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जायेगी. डॉक्टर मोहनी इदनानी और ज्योति दुबे का लाइसेंस आठ माह के निलंबित किया गया है. वहीं, डॉक्टर नलिनी मढ़रिया, नितिन जैन, प्रज्जवल सोनी और सोनाली वी जैन का लाइसेंस दो माह के लिये निलंबित किया गया है.

छत्तीसगढ़ गर्भाशय कांड-

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न निजी नर्सिंग होम में वर्ष 2012 में 22 महिलाओं के गर्भाशय को गर्भाशय के ग्रीवा कैंसर का डर दिखाकर निकाल देने का मामला सामने आया था. इन डॉक्टरों पर आरोप है कि इन्होंने ग्रामीणों को गर्भाशय के कैंसर का डर दिखाकर इनसे सरकार के स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत आपरेशन कर दिये थे. गौरतलब है कि स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत एक साल में 30हजार रुपयों तक के चिकित्सा का खर्च सरकार वहन करती है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा में जुलाई 2013 में एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया गया था कि वर्ष 2010 से 1013 के बीच छत्तीसगढ़ में महिलाओं के गर्भाशय निकालने के 1800 मामले सामने आये थे.

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने गरीबों को चिकित्सा सुविधा मुफ्त में मुहैय्या करवाने के लिये वर्ष 2007 में स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की गई थी जिसके तहत स्मार्ट कार्ड के माध्यम से 30हजार रुपयों तक की चिकित्सा करवाई जा सकती है.

छत्तीसगढ़ गर्भाशय कांड की गूंज विदेशी मीडिया तक में पहुंच चुकी थी तथा छत्तीगढ़ विधानसभा में इस मुद्दे को कांग्रेस ने उठाया था. काफी समय से छत्तीसगढ़ की जनता इस रुके हुए फैसले को सुनना चाहती थी.

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