छत्तीसगढ़

उद्योगों पर करोड़ों का जलकर बकाया

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की नदियों से पानी लेने वाले उद्योगों पर करोड़ों का बकाया है. छत्तीसगढ़ के नदियों-बांधों से पानी लेने वाले उद्योगों से 26 जून 2014 की स्थिति में 11067.79 लाख रुपये का जलकर बकाया है. इसमें दिलचस्प बात यह है कि निजी उद्योगों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग भी जलकर नहीं पटाते हैं.

सबसे हैरत की बात है कि इन उद्योगों को कितना पानी दिया दिया जाता है उसका कोई हिसाब सरकार के पास नहीं है क्योंकि इसके लिये कोई मापक यंत्र नहीं लगाया गया है न ही कोई इसके लिये जिम्मेदार है. यह जानकारी छत्तीसगढ़ विधानसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में सामने आयी है.

छत्तीसगढ़ में जलकर का बकाया सबसे ज्यादा नोवा स्टील एण्ड आयरन इंडस्ट्रीज, दगौरी के नाम है जिसने 4430.80 लाख रुपये अब तक नहीं पटाये हैं. इसी तरह से इण्ड सिनर्जी लिमिटेड, कोटमार के नाम 3371 लाख रुपयों का बकाया है. इसी तरह से सीएसआईडीसी, सिलतरा ने भी 831.44 लाख रुपये नहीं पटाया है.

सबसे हैरत की बात है कि एनटीपीसी, सीपत के नाम सरकारी दस्तावेजों में 1102.50 लाख रुपयों का बकाया है. जबकि छत्तीसगढ़ सरकार उससे स्वयं बिजली खरीदती है. मोनेट इस्पात एण्ड इनर्जी लिमिटेड का 459.15 लाख रुपये बकाया है. इसी तरह से सालासर स्टील एण्ड पावर लिमिटेड, गेरवानी का 406 लाख रुपये तथा अंजनी स्टील लिमिटेड का 347.30 लाख रुपये बकाया है. कुल बकायेदारों की संख्या छत्तीसगढ़ सरकार के आकड़ों के अनुसार 10 है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नदियों तथा बांधों से कुल 22 उद्योगों को पानी दिया जाता है.

इनमें से मोनेट इस्पात तथा एनर्जी लिमिटेड को खारून नदी के मुरेठी एनीकेट से, सीएसआईडीसी, सिलतरा को खारून नदी के मुरेठी एनीकेट से, सालासर स्टील एण्ड पावर लिमिटेड, गेरवानी को गेरवानीनाल के शिवपुरी एलीकेट से, इण्ड सिनर्जी लिमिटेड कोटमार को सपनई नाला के कारीछापर एलीकेट से, अंजनी स्टील लिमिटेड को केलो नदी के केलो बांध से, एनटीपीसी,सीपत को हसदेव नदी से तथा नोवा स्टील एण्ड आयरन इंडस्ट्रीज, दगौरी को शिवनाथ नदी से पानी दिया जाता है.

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