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नक्सल इलाकों में जवानों को 50% भत्ता

रायपुर | संवाददाता: हाल ही में सीआरपीएफ तथा बीएसएफ के जवानों ने सोशल मीडिया के माध्यम से सनसनी फैला दी थी. कश्मीर में तैनात बीएसएफ के एक जवान ने सोशल मीडिया के जरिये खराब खाने की शिकायत की थी. ऐसे में देश में सबसे ज्यादा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित छत्तीसगढ़ के पुलिस जवानों को क्या सुविधा मिल रही है जानना दिलचस्प होगा. छत्तीसगढ़ में पूर्व में नक्सल इलाकों में तैनात पुलिस के जवानों को मूल वेतन का 15 से 20 फीसदी भत्ता मिलता था. जिसे गृह विभाग ने 9 अक्टूबर 2015 को जारी किये गये आदेश के द्वारा बढ़ा दिया. गृह विभाग के आदेश के अऩुसार छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिस कर्मियों को इसका लाभ 1 जुलाई 2015 से मिलेगा.

इस तरह से छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के 7 जिलों के 93 थाने और राजनांदगांव जिले के 9 थानों कुल 102 थानों में तैनात पुलिस कर्मियों को बढ़ा हुआ नक्सल भत्ता मिल रहा है. राज्य शासन के आदेश के अनुसार अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत पुलिस बल को 50 फीसदी, संवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत पुलिस बल को 35 फीसदी एवं सामान्य नक्सल प्रभावित इलाके में काम कर रहे पुलिस बल को 15 प्रतिशत नक्सल क्षेत्र भत्ता पाने का पात्र बना दिया है.

छत्तीसगढ़ शासन के इस फैसले के दायरे में छत्तीसगढ़ के 102 थाने आएंगे. इनमें अतिसंवेदनशील क्षेत्रों के 46, संवेदनशील क्षेत्रों के 43 एवं सामान्य नक्सल प्रभावित इलाकों के 13 थाने शामिल हैं.

अतिसंवेदनशील थानों में बीजापुर जिले के 15 थाने गंगालूर, मिरतुर, फरसेगढ़, बेदरे, उसूर, भोपालपटनम, बासागुड़ा, तोयनार, आवापल्ली, मोदकापाल, मद्देड़, कुटरू, पामेड़, भद्राकाली एवं तरलागुड़ी, सुकमा जिले के 13 थाने पोलमपल्ली, एर्राबोर, कोंटा, मरईगुड़ा, गादीरास, दोरनापाल, पुशपाल, फुलबागड़ी, चिंतागुफा, जगरगुंडा, भेज्जी, किस्टाराम और गोलापल्ली, नारायणपुर जिले के छः थाने छोटे डोंगर, धौड़ाई, कुरूशनार, धनोरा, झाराघाटी तथा ओरछा, दंतेवाड़ा जिले के पांच थाने कुआंकोंडा, कटे कल्याण, भांसी, बारसुर और अरनपुर, कांकेर जिले के पांच थाने कोयलीबेड़ा, बांदे, परतापुर, गोंडाहुर और आमाबेड़ा तथा कोंडागांव जिले के दो थाने बयानार और मरदापाल शामिल हैं.

इन सभी थानों में तैनात पुलिस बल को मूल वेतन का 50 प्रतिशत नक्सल क्षेत्र भत्ता मिलने की पात्रता है.

संवेदनशील क्षेत्रों के अंतर्गत कांकेर जिले के 12 थाने कोरर, भानुप्रतापपुर, पखांजूर, अंतागढ़, दुर्गकोंदल, बड़गांव, लोहत्तर, कोड़ेकुरसे, सिकसोद, कच्चे, ताडोकी तथा रावघाट, राजनांदगांव जिले के नौ थाने मदनवाड़ा, औंधी, मोहला, मानपुर, चिल्हाटी, खड़गांव, सीतागांव, कोहका और अंबागढ़-चौकी, बस्तर जिले के छः थाने कोडेनार, बड़ांजी, लोहंडीगुड़ा, बुरगुम, दरभा और मरदुम, दंतेवाड़ा जिले के पांच थाने गीदम, बचेली, किरंदुल, फरसपाल तथा दंतेवाड़ा, कोंडागांव जिले के चार थाने विश्रामपुरी, धनोरा, बड़े डोंगर एवं ईरागांव, बीजापुर जिले के चार थाने जांगला, नेलसनार, भैरमगढ़ एवं बीजापुर तथा सुकमा जिले के तीन थाने तोंगपाल, कुकनार और सुकमा शामिल हैं.

इन सभी थानों में कार्यरत पुलिस बल को 35 प्रतिशत नक्सल क्षेत्र भत्ता मिलने की पात्रता है.

इसी तरह से सामान्य नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 13 थानों को शामिल किया गया है. इनमें बस्तर जिले के 6 थाने कोतवाली जगदलपुर, बोधघाट, परपा, नगरनार, करपावांड और भानपुरी, कोंडागांव जिले के चार थाने फरसगांव, केशकाल, माकड़ी एवं कोंडागांव, कांकेर जिले के तीन थाने चारामा, कांकेर और नरहरपुर शामिल हैं.

यहां पदस्थ पुलिस बल को मूल वेतन का 15 फीसदी नक्सल क्षेत्र भत्ता मिलने की पात्रता है.

गौरतलब है कि 30 जून 2015 को अपनी बैठक में छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने नक्सल क्षेत्रों में तैनात पुलिस बलों के लिये कई अहम फैसले लिये थे. जिसके अनुसार बस्तर संभाग के सभी जिलों में नक्सल हिंसा और आतंक के खिलाफ मोर्चे पर तैनात राज्य पुलिस के सहायक आरक्षकों का मासिक वेतन विभिन्न भत्तों सहित कुल 8,990 रूपए से बढ़ाकर 14,144 रूपए करने का भी निर्णय लिया गया.

सहायक आरक्षकों और गोपनीय सैनिकों को भी पुलिस जवानों की तरह 25 लाख रूपये की बीमा सुरक्षा दिये जाने का निर्णय हुआ. इससे पहले उन्हें केवल 5 लाख रूपये की बीमा योजना का लाभ मिलता था. उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें भी 25 लाख रूपये की बीमा सुरक्षा दिये जाने का निर्णय लिया गया. इसी के साथ प्रतिमाह राशन भत्ता 1200 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये का कर दिया गया है.

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