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रेलवे के ‘दामाद’ अफसरों का रुतबा

बिलासपुर | संवाददाता: कहीं आप रेलमंत्री सुरेश प्रभु को देखकर यह मान लेते हैं कि रेल के अफसर भी उन्हीं के समान सीधे-सादे हैं तो गलत समझ रहें हैं. भले ही रेलमंत्री को ट्वीट करके बच्चे के लिये दूध, बीमार के लिये दवा मंगाई जा सकती है परन्तु दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अफसर ऐसे हैं कि अपने लिये सुपरफास्ट ट्रेन तक रुकवा सके हैं. इतना ही नहीं गाड़ी आगे रोकने पर रेलवे के ड्राइवर को नियमों का हवाला देते हुये प्रताड़ित करने से भी नहीं चूकते हैं. रेलमंत्री के उलट उनके अफसर रेलवे के ‘दामाद’ हैं जिनके लिये सारे नियम-कायदों के ताक पर रखने की ‘बाजीगरी’ की जाती है.

मंगलवार रात को हावड़ा-मुंबई गीतांजलि एक्सप्रेस को रायगढ़ के बाद राबर्टसन स्टेशन पर रेलवे के डिवीजनल सिग्नल टेलीकाम इंजीनियर सुधांशु कुमार के लिये रोक दिया गया. दरअसल, वे वहां पैनल बोर्ड में आई खराबी को दुरस्त करने गये थे. रात के 12 बजे राबर्टसन से कोई ट्रेन न होने के कारण गीतांजलि एक्सप्रेस को वहां रोका गया. इस बीच ड्राइवर बी सुरेन्द्र ने गाड़ी को आगे जाकर रोका तथा फिर पीछे करके रेल अफसर को लिया. इससे कुपित होकर उस ड्राइवर को चांपा रेलवे स्टेशन पर उतार दिया गया.

मिली जानकारी के अनुसार राबर्टसन स्टेशन में गीतांजलि एक्सप्रेस का स्टापेज नहीं है. इसके बाद भी अधिकारी ने संरक्षा नियमों को ताक पर रखकर गीतांजलि एक्सप्रेस को रुकवाने स्टार्टर सिग्नल को रेड करा दिया. ठहराव नहीं होने के कारण गीतांजलि एक्सप्रेस का ड्राइवर बी सुरेंद्र निर्धारित रफ्तार में ट्रेन चला रहे थे. होम सिग्नल पीला होने पर भी चालक उसी रफ्तार से ट्रेन चलाते रहे.

लगभग एक किमी के फासले पर स्टार्टर सिग्नल रेड था. इसे देखकर ड्राइवर हड़बड़ा गया. उन्होंने आनन-फानन में ब्रेक लगाया. ट्रेन रुकने पर अफसर उस पर चढ़ गये. अचानक ट्रेन पीछे होने लगी तो अफसर हैरान हो गये. जानकारी लेने पर पता चला कि ट्रेन रेड सिग्नल को पार कर गई थी. इसी वजह से चालक ट्रेन को सिग्नल से पहले लाने की कोशिश कर रहा था.

अधिकारी ने तत्काल इसकी शिकायत डीआरएम व अन्य अफसरों से कर दी. उन्होंने उच्च अफसरों को यह नहीं बताया कि बिना स्टापेज राबर्टसन स्टेशन में ट्रेन को क्यों रुकी. ट्रेन के चांपा स्टेशन पहुंचते ही ड्राइवर को उतार दिया गया. वहां से एक मालगाड़ी का ड्राइवर गीतांजलि एक्सप्रेस को लेकर बिलासपुर पहुंचा.

वैसे आपात स्थिति में अधिकारी या मैदानी अमले के लिये ट्रेन को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके लिये संबंधित स्टेशन को सूचना देनी पड़ती है. गीतांजलि एक्सप्रेस के मामले में निमय का पालन नहीं किया गया. अधिकारी को रायगढ़ स्टेशन को आगे ट्रेन रुकवाने की सूचना देनी थी. ऐसे में ड्राइवर को पहले ही इसकी जानकारी मिल जाती और वो समय रहते ही ट्रेन रोक सकता था.

इससे पहले भी ट्रेन के ओवरशूट होने की घटना 21 दिसंबर को झारसुगड़ा रेलवे स्टेशन में घट चुकी है. नियमानुसार ओवरशूट की सूचना रेलवे बोर्ड को देनी पड़ती है परन्तु दोनों ही मामलो में रेलवे बोर्ड को इसकी सूचना नहीं दी गई है. इसके पीछे वजह यह है कि रेलवे बोर्ड इस तरह की घटना में अकेले ड्राइवर को जिम्मेदार नहीं ठहराता. सभी पहलुओं को परखने के बाद कार्रवाई की जाती है.

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