छत्तीसगढ़

छग: अपहरण के 13 साल बाद केस दर्ज

रतनपुर | उस्मान कुरैशी: छत्तीसगढ़ के रतनपुर में लड़की की गुमसूदगी के 13 साल बाद अपहरण का केस दर्ज किया गया. उल्लेखनीय है कि एक दो नहीं पूरे 13 साल पांच महीने लग गए पुलिस को ये तय करने में कि लापता नाबालिग ममता का अपहरण हुआ है. पर उसका अपहरण किसने क्यों किया . और अब बालिग हो चुकी ममता आखिर है कहां . इसका जवाब पुलिस के पास अब भी नहीं है. ये अनोखा मामला छत्तीसगढ़ के रतनपुर थाना क्षेत्र के दर्री पारा का है.

रतनपुर नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड 11 दर्रीपारा में सौपत राम सूर्यवंशी अपने परिवार के साथ रहता है. उसकी 8 साल की बेटी ममता 1 अप्रैल 2001 को चैत्र नवरात्रि के मेले में गुम हो गई थी. घटना पर तब सौपतराम ने रतनपुर थाना में गुमसूदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. फिर अचानक 15 दिन पहले सौकत को रतनपुर थाना से बुलावा आया . जहां बेटी के बारे फिर पुछताछ हुई पत्नी फूलबाई की किसी कागज पर दस्तखत लिए गए. उसे किसी प्रकार की कोई पावती नहीं दी गई है. पूछने पर इनसे कहा गया है कि थानों में कागज देना है. इनको तो अब ये भी पता नहीं कि 1 अप्रैल 2001 की इस घटना पर 3 अक्टूबर 2014 को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के तहत अपहरण का अपराध दर्ज किया है. इतने साल बाद क्यों और किसके निर्देश पर अपहरण का अपराध दर्ज किया गया इस पर कोई भी अधिकारिक रूप से बोलने को तैयार नहीं है.

सौपत राम की पत्नी फूल बाई कहती है कि वह अपने तीन बच्चों के साथ महामाया मंदिर परिसर में लगे नवरात्रि मेले में घूमने आई थी. रात वही रूक गई थी . सुबह मंदिर के कुंड में बच्चों के साथ नहाया . फिर महामाया धर्म शाला के पास होटल में एक अनजान लड़के ने उसके बच्चों को खाई खिलाई को बुलाया. उसके बाद वह ममता को घुमाने ले गया फिर लौटकर नहीं आया. बच्ची के नहीं लौटने पर फूलबाई ने पूरा मंदिर परिसर छान मारा पर ममता का कहीं कुछ पता नहीं लगा. हताश मां घर लौटी और पूरी घटना की जानकारी परिजनों को दी. इस घटना के बरसों बाद आज भी बेटी को याद करते मां का दिल भर आता है. आज बेटी को याद करने घर में परिवार के पास उसकी एक फोटो तक नहीं है.

ममता के पिता सौपत कहते है कि मै बहन के घर से लौटा तभी बेटी के गुमने की खबर भाई ने दी. पहले तो बहुत गस्सा आया फिर यहां वहां परिजनों के पास बेटी की खोजबीन की . कहीं पता नही लगने पर रतनपुर थाना जाकर उसकी गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. सौपत कहते है कि मैं नही जानता कि इस पर पुलिस ने क्या किया है . मैने अपनी हैसियत के हिसाब से कोरबा, डगनियां, अकलतरी सहित कई जगहों में बेटी की खोजबीन की है. कई बैगाओं से विचार करवाया जिन्होने ममता के 64 दिनों में लौट आने की आस दिलाई . कई 64 दिन गुजर गए पर बेटी नहीं लौटी. इस बीच पुलिस भी पूछने पर कहती रही कि खोजबीन चल रही है. अब इतने बरस बाद उसकी याद आने के सवाल पर थोड़ी नाराजगी जताते पिता कहते है कि बेटी है तो याद कैसे नहीं आएगी. ममता उनकी तीसरी संतान थी जो मोहल्ले के सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ती थी. पिता कहते है कि बेटी होती तो उसकी शादी-ब्याह भी हो गया होता. मेहनत मजदूरी कर जीवकोपार्जन कर रहे सौपत के अभी चार बेटे और तीन बेटियां है. पर ममता के गुम होने का गम आज भी उसकी पथराई आखों में उतर आता है.

इतने साल बाद क्यों जागी पुलिस

2008 से 2010 के दौरान देश में 1लाख 70 हजार से भी अधिक बच्चों के कथित रूप से लापता होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दायर जनहित याचिका पर कई निर्देश दिए थे. जिनमें पुलिस को लापता बच्चे के बारे में सूचना मिलते ही एफआईआर दर्ज करने और ऐसे बच्चों की फोटो चाइल्ड ट्रेक वेबसाइड पर अपलोड करने का निर्देश भी था. पर इसका पालन नहीं हो पा रहा है. प्रदेश शासन ने शीर्ष अदालत को ऐसे मामलों के आकड़े और अमल की रिपोर्ट भी उपलब्ध नही कराई . इन मामलों में कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन हरकत में आई है और ऐसे पुरानें गुमसुदगी के मामलों पर अब कोर्ट के निर्देष के अनुसार अपहरण के अपराध दर्ज किए जा रहे है.

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