छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ का पोंटी चड्ढा प्रेम

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार ने पोंटी चड्ढा के लिये चना खरीदी के सारे नियम बदल दिये. राज्य की भाजपा सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को घुन लगा हुआ, खराब चना चना आपूर्ति का ठेका दे दिया. ये वो कंपनियां हैं, जिनकी कैग और आयकर विभाग से लेकर सीबीआई तक जांच चल रही है. ये कंपनियां कुछ राज्यों में ब्लैकलिस्टेड तक की गईं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार लगातार उसी बदनामशुदा कंपनी पर मेहरबान है.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहम्मद अकबर का आरोप है कि आदिवासियों को बांटे जाने वाले चना की खरीदी करने के लिये सरकार ने सारे नियम बदल दिये. अकबर ने आरोप लगाया कि चना खरीदने के लिए भारत सरकार ने जो मापदंड तय किया है, प्रदेश में चना खरीदी में उसका पालन नहीं किया जा रहा है. एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के मापदंड के अनुसार चने में नमी 12 प्रतिशत, दूसरे प्रकार के चने में 2 प्रतिशत, दूसरे अनाज के दाने 2 प्रतिशत, टूटा हुआ चना 3 प्रतिशत, घुन लगा हुआ चना 5 प्रतिशत और कचरा 2 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.

अकबर के अनुसार इसके विपरीत निविदा के द्वारा जिस चना की खरीदी की जा रही है, उसमें नमी 16 प्रतिशत, दूसरे अनाज के दाने 4 प्रतिशत, टूटा हुआ चना 5 प्रतिशत और घुन लगा चना के लिए 10 प्रतिशत तक की छूट दी गई है. यही नहीं निविदा के मापदंड के अनुसार चने के दाने सूखे और पुष्ट होने चाहिए, लेकिन निविदा के एक महत्वपूर्ण शर्त को छोड़ दिया गया है. टेंडर के मापदंडों के अनुसार चने के दाने सूखे और पुष्ट होने चाहिए, लेकिन सरकार ने अपने मापदंडों में केवल सूखा का उल्लेख किया है. पुष्ट को जान-बूझकर छोड़ दिया गया है.

गौरतलब है कि गुरदीप सिंह यानी पोंटी चड्ढा और उसके भाई हरदीप की 17 नवंबर 2012 को दिल्ली के नंबर 42 सेंट्रल ड्राइव फार्म हाउस में हत्या कर दी गई थी. लेकिन पोंटी की बदनामशुदा कंपनियों का साम्राज्य छत्तीसगढ़ में चलता रहा.

2012-13 में भी छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को चना बांटने के लिये जिन कंपनियों को चना आपूर्ति का ठेका मिला है, वे दोनों कंपनियां लिकर किंग कहे जाने वाले पोंटी चड्ढा से जुड़ी हुई कंपनियां हैं. कभी शराब ठेके के सामने चने बेचने वाले पोंटी चड्ढा द्वारा खड़ी की गई कंपनियों ने छत्तीसगढ में चना घोटाले को अंजाम दिया और सरकार ने इन कंपनियों की हकीकत भी जानने की कोशिश नहीं की.

पोंटी चड्ढा की ये कंपनियां बेहद बदनाम रही हैं और करोड़ों-अरबों के बड़े-बड़े घोटालों का आरोप इन कंपनियों पर है. जिन कंपनियों पर उत्तरप्रदेश में हजारों करोड़ रुपये के गोलमाल का आरोप था, उन्हीं कंपनियों ने छत्तीसगढ़ में भी भ्रष्टाचार का खेल खेला और चना वितरण का ठेका हासिल कर लिया. 2012-13 में छत्तीसगढ़ में दो कंपनियों को चना आपूर्ति का ठेका मिला था- मेसर्स प्राईम विजन शुगर लिमिटेड, 574 मगरवारा, उन्नाव, उत्तरप्रदेश और दूसरी कंपनी थी मेसर्स डिवाईन क्राप्स एंड एलाईड प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड.

छत्तीसगढ़ खबर के पास उपलब्ध दस्तावेज़ बताते हैं कि प्राईम विजन इंडस्ट्रीज प्राईवेट लिमिटेड पोंटी चडढ़ा और उनके परिवार से जुड़ी हुई है. दस्तावेज बताते हैं कि 6 अक्टूबर 2010 को बनाई गई यह कंपनी उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड है और इसका रजिस्ट्रेशन नंबर U15122UP2010PTC042183 है.

इस कंपनी के निदेशक के तौर पर जिस कवच कुमार निर्मल का नाम दस्तावेजों में बताया गया है, वह मूलतः पोंटी चडढ़ा की कंपनी वेब आईएनसी से जुड़े रहे हैं और यह कंपनी भी पोंटी चड्ढा की ही है.

रामपुर की दूसरी कंपनी मेसर्स डिवाईन क्राप्स एंड एलाईड प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड के दस्तावेजों से यह बात सामने आई कि इस कंपनी की होल्डिंग कंपनी पीबीएस फूड्स प्राईवेट लिमिटेड है, जो पोंटी और उसके रिश्तेदारों की कंपनी है. मतलब ये कि छत्तीसगढ़ में चना बांटने के लिये जिन दो कंपनियों को ठेका मिला, वो दोनों कंपनियां एक ही व्यक्ति और परिवार से जुड़ी हुई थीं.

पोंटी और उसके रिश्तेदारों ने इन दो कंपनियों के अलावा वेब इंडस्ट्रिज प्राईवेट लिमिटेड जैसी दर्जनों कंपनियां बनाई और इन कंपनियों ने भयावह साजिशें रचते हुये भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से 11 चीनी मिलों की खरीदी में जम कर चांदी काटी. इसके अलावा पोंटी चड्ढा और उसकी सहयोगी सुनीता की कंपनियों पीबीएस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे छत्तीसगढ़ में ठेका मिला), डी ग्रेट वेल्यु, हेल्थ केयर एनर्जी फूड प्राइवेट लिमिटेड, क्रिस्टी फ्रीड ग्राम इंडस्ट्रीज, त्रिकाल फूड्स एंड प्राइवेट लिमिटेड को उत्तर प्रदेश के बाल विकास पुष्टाहार में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में जिम्मेवार पाया गया.

पोंटी चड्ढा की इन कंपनियों के खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही थी, आयकर की जांच चल रही थी, अदालतों में भयावह भ्रष्टाचार के मामले थे और संसद में तो रिपोर्टें रखी ही गई थी. फिर भी छत्तीसगढ़ में चना आपूर्ति के लिये पोंटी से जुड़ी इन कंपनियों को ही ठेका मिला और यह सिलसिला अब भी जारी है.

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