छत्तीसगढ़सरगुजा

अंधविश्वास की कमाई लाखों रुपये

रायपुर | अन्वेषा गुप्ता: गरीब छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के चलते नागपंचमी के दिन लाखों रुपये चढ़ा दिये गये. नाबालिक लड़कियों की शादी रुकवाने वाला प्रशासन एक दसवीं कक्षा की लड़की से इच्छाधारी नाग की शादी देखने आये दस हजार से ज्यादा लोगों की व्यवस्था करने में जुटा रहा. छत्तीसगढ़ के सरगुजा में अंधविश्वास की पराकाष्ठा तब हो गई जब हजारों लोग एक लड़की द्वारा खुद की शादी इच्छाधारी नाग से नाग पंचमी के दिन होने का दावा देखने पहुंच गई. इतना ही नहीं लोगों ने पूरी श्रद्धा से चढ़ावा भी चढ़ाया जिससे लाखों रुपये नगद जमा हो गये.

सरगुजा के भैयाथान जनपद के कसकेला गांव की एक लड़की ने बीस दिनों पूर्व दावा किया था कि वह खुद इच्छाधारी नागिन है तथा उसका घऱ के पिछवाड़े में रहने इच्छाधारी नाग से शादी होने वाली है. समाचारों के अनुसार लड़की ने अपनी मांग में नाग के नाम का सिंदूर भी लगा लिया था जो धोने से भी नहीं छूट रहा था.

लड़की के दावे के साथ प्रकाशित उसकी तस्वीर से ही इस बात का आभास हो रहा था कि लड़की एक मानसिक रोगी है. बीस दिनों पूर्व हुई यह बात इसके बाद दब सी गई. परन्तु किसे मालूम था कि जिस जनता को डिजीटल युग में ले जाने की कोशिश हो रही है वह ही नागपंचमी के दिन नाग से शादी देखने हजारों की संख्या में पहुंच जायेगी.

कथित नाग कन्या द्वारा नाग से शादी के दावे किये जाने की बात जब आसपास के गांवों में पहुंच सकती है तो भला पुलिस तथा प्रशासन कैसे इससे अछूता रह सकता है. इसके बावजूद प्रशासन मूक दर्शक बना रहा. भक्तों की भीड़ तथा चढ़ावा देखकर लड़की ने नागपंचमी के दिन नाग से शादी होने का दावा ठोक दिया.

नागपंचमी के दिन कसकेला गांव में लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा. पुलिस तथा प्रशासन व्यवस्था संभालने में जुट गई परन्तु एक बार भी इस अंधविश्वास को रोकने की कोशिश नहीं की गई.

बकायदा मंडप सजा, पंडित आये, पूजा-अर्चना शुरु हुई परन्तु वहीं हुआ जो ऐसे मामलों में होता है. न नाग आया न शादी हुई. जब लोगों ने लड़की के परिजनों पर दबाव बनाया तो लड़की को बीमार बताकर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. तब जाकर पुलिस को लड़की की रक्षा के लिये अस्पताल को छावनी में बदलना पड़ा. काश पहले से ही लड़की को चिकित्सकों के पास लाया जाता तो अंधविश्वास इस तरह से लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं कर पाता.

पूरे प्रकरण में तीन बातें गौर करने वाली है. पहला लड़की द्वारा इच्छाधारी नाग से शादी का दावा किये जाने के बाद उसके परिजन क्यों खामोश रहें? क्यों उन्होंने लड़की का इलाज नहीं करवाया? जाहिर है कि नाग-नागिन के नाम पर आ रहे चढ़ावों ने उऩकी लालच बढ़ा दी जिसकी परिणिति नागपंचमी के दिन एक बड़े आयोजन के रूप में हुई.

सवाल किया जाना चाहिये कि उन लाखों रुपयों के चढ़ावों का क्या होगा. क्या पुलिस-प्रशासन ने इस दिशा में कोई कदम उठाया है. अंधविश्वास की कमाई जो लाखों रुपये नगद के रूप में हुई है असल में लोगों को धार्मिक रूप से ठगकर की गई है लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर की गई है.

दूसरी बात, प्रशासन इस दावे के बाद कैसे खामोश रहा कि नागपंचमी के दिन इच्छाधारी नाग लड़की से शादी रचाने आयेगा. नाबालिक लड़कियों की शादी रुकवाने वाला प्रशासन कैसे एक सांप के साथ शादी के आयोजन को नहीं रोक सका. उल्टे व्यवस्था बनाने में लगा रहा. जब लोग, नाग के न आने पर तथा वह शादी न होने पर जिसे देखने वे आये थे, भड़क लगे तो पुलिस-प्रशासन को होश आया.

तीसरी बात, इससे इंकार नहीं किया जा सकता छत्तीसगढ़ के गांवों में गरीबी है. सूखे के कारण कर्ज न पटा पाने की हालत के चलते कईयों ने आत्महत्या करने जैसे निराशाजनक कदम भी उठाया. मनरेगा का पूरा पैसा अभी तक बकाया है. उसके बावजूद नाग की शादी देखने हजारों की संख्या में उमड़े लोग लाखों रुपये नगद का चढ़ावा चढ़ा देते हैं. जाहिर है कि देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के पहले उऩमें वैज्ञानिक चेतना के विकास की जरूरत है. अन्यथा समय-समयपर ऐसा अंधविश्वास लोगों को कई सदी पीछे ले जाने की कोशिश करेगा.

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