छत्तीसगढ़सरगुजा

मीना खलको केस में टीआई को जेल

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के सरगुजा के चर्चित मीना खलको हत्याकांड में सीआईडी ने टीआई निकोदीन खेस्स को गिरफ्तार किया है. मंगलवार को सीआईडी ने बलरामपुर के तत्कालीन टीआई रहे निकोदीन खेस्स को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है. मीना खलको केस में 66 माह बाद पहली गिरफ्तारी हुई है. बता दें कि 6 जुलाई 2011 को बलरामपुर के लोंगरटोला में टीआई निकोदीन खेस्स के नेतृत्व में 25 पुलिसकर्मियों की टीम ने मीना खलको को मार गिराया था.

जबकि गांव वालों का कहना था कि मीना खलको को मुठभेड़ में नहीं मारा गया था. मीना खलको हत्याकांड जब छत्तीसगढ़ विधानसभा में उठा तो सरकार ने अनिता झा के नेतृत्व में न्यायिक आयोग का गठन किया. इस अनिता झा आयोग ने साल 2015 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें 25 पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की सिफारिश की गई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने मामले को सीआईडी के हवाले कर दिया था.

निकोदीन खेस्स पर आरोप है कि उन्होंने मीना खलको को गोलियों से छलनी कर उसे नक्सली मुठभेड़ में मौत होना बताया था. प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट शांतनु देशलहरे ने निकोदीन खेस्स को 28 फरवरी तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया है.

गौरतलब है कि रायपुर के सीआईडी थाने में साल 2015 में मीना खलको केस में शामिल रहे पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच के बाद टीआई निकोदीन खेस्स, आरक्षक धर्मदत्त घानिया एवं जीवनलाल रत्नाकर पर हत्या का केस दर्ज किया गया था.

गौरतलब है कि 6 जुलाई 2011 को छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के ग्राम करचा में 17 वर्ष की किशोरी मीना खलखो का एनकाउंटर हुआ था. वो वनोपज संग्रह करती थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मीना खलखो को दो गोलियां लगी थी, जो नजदीक से मारी गई थी. वहीं कोई भी पुलिस कर्मी घायल नहीं हुआ था.

लाश मिलने के बाद पुलिस ने दावा किया था कि वह नक्सली समर्थक थी और मुठभेड़ में मारी गई. मीना के गांव के लोगों और सरपंच ने इसका विरोध किया, उसे आम आदिवासी युवती बताते हुए इस मामले में जांच की मांग की थी.

आनन-फानन में सरकार ने मीना खलको के परिजनों को सहायता राशि आबंटित कर दी. इसके बाद सवाल उठने शुरू हुए कि यदि मीना नक्सली थी तो उसके परिजनों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद क्यों दी गई?

इसके बाद मामले की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया जिसकी शुरुआती जांच के बाद एनकाउंटर के दौरान ड्यूटी पर रहे 18 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था. आयोग ने 7 अप्रैल 2015 को कैबिनेट को रिपोर्ट सौंपी जिसमें यह कहा गया कि मीना नक्सली नहीं थी और उसकी मौत पुलिस की गोली से हुई थी.

आयोग ने सीआईडी जांच की अनुशंसा की थी. उसके बाद सीआईडी ने 11 पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था.

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