छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: सदन में शराब का विरोध

रायपुर | संवाददाता: सड़क के बाद सदन में भी शराब का विरोध तेज हो गया है.
शुक्रवार को भी छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस ने मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. कांग्रेस ने शराब दुकान खोले जाने पर सरकार की भूमिका का कड़ा विरोध किया. कांग्रेस ने इस मामले में स्थगन प्रस्ताव भी लाया जो नामंजूर हो गया. स्थगन प्रस्ताव नामंजूर होने पर कांग्रेस के सदस्य गर्भगृह में पहुंच गये. जिससे टीएस सिंहदेव, भूपेश बघेल, सत्यनारायण शर्मा, भूपेश बघेल, रेणु जोगी, अरुण वोरा समेत अन्य विधायक निलंबित हो गये. भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पर सदन की अवमानना का आरोप लगाते हुए कहा कि वे सदन में कुछ नहीं कहते और बाहर बयान देते हैं कि पूर्ण शराबबंदी की ओर बढ़ रहे हैं. उन्हें जो कहना है, वे सदन में कहें.

कांग्रेस शराब के मुद्दे को सड़क पर भी गर्माना चाह रही है. कांग्रेस ने शराबबंदी को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन करने का निर्णय लिया है. 4 मार्च शनिवार को सभी जिले और ब्लाक मुख्यालय में प्रदर्शन होंगे. 5, 6 और 7 मार्च को मशाल जुलून निकाली जाएगी. 8 मार्च को महिला दिवस पर मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया जायेगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाइवे से शराब दुकाने हटाने के निर्देश दिये जाने के बाद छत्तीसगढ़ की 416 शराब दुकानों को हाइवे से हटाना पड़ सकता है. इऩ दुकानों को जहां स्थानांतरित करने का प्रयास किया जा रहा है वहां की आबादी इसका विरोध कर रही है. इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा उन शराब दुकानों को खुद संचालित करने जा रही है.

दूसरी तरफ, राज्यभर में महिलायें इन शराब दुकानों को खोले जाने का सबसे ज्यादा विरोध कर रही हैं. इससे पहले रायपुर से लगे बीरगांव में महा पंचायत बुलाई गई थी जिसमें हजारों महिलाओं ने शिरकत की. आरंग में शराब दुकान खोलने के खिलाफ अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था.

इसी माह के पहले सप्ताह में अंबिकापुर के बतौली के महिलाओं ने शराब दुकान खोले जाने का जमकर विरोध किया था. उन्होंने कहा कि यदि यहां शराब की दुकान खुली तो वे फिर से खुले में शौच करने लगेंगी.

गौरतलब है कि बतौली को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है. यह वहां की महिलाओं के समर्थन के कारण ही संभव हो पाया है. अब महिलायें बतौली में शराब दुकान खोले जाने का विरोध कर रहीं है तथा उनकी बात न मानने पर सरकारी योजनाओं की बहिष्कार की बात कही थी.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि नेशनल हाइवे से लगी दुकानें सड़क से 500 मीटर के दायरे में नहीं होंगी. ऐसे में राज्य की 416 दुकानों के ठेकेदार दुकान चलाने के इच्छुक नहीं हैं. अब इन दुकानों से जो घाटा होगा, उसे पूरा करने के लिये ही सरकार द्वारा कार्पोरेशन का गठन किया जा रहा है.

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