सरगुजा

चिंतामणि ने बढ़ाई भाजपा की चिंता

अम्बिकापुर | संवाददाता: भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे सामरी विधानसभा क्षेत्र के श्रीकोट निवासी चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस का दामन थामकर सत्ताधारी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. रविवार को कुसमी में आयोजित विशाल जनसभा में वे अपने कई समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए.

चिंतामणि कंवर समाज के प्रमुख समाज सेवी और धर्म गुरू गहिरा गुरू के पुत्र हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था और करीब बीस हजार वोट पाए थे. कांग्रेस का कहना है कि उनके पार्टी में आने से उत्तर छत्तीसगढ़ की 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को लाभ होगा.

चिंतामणि महाराज के सामरी से लेकर अंबिकापुर, सूरजपुर, जशपुर और रायगढ़ तक अनुयायी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इसी का हवाला देते हुए उन्होंने भाजपा से टिकट की मांग की थी लेकिन टिकट नहीं मिली. निर्दलीय चुनाव में उन्होंने किस्मत अजमायी. इसमें जीत तो नहीं हुई लेकिन सक्रिय राजनीति में उन्होंने जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई. सरकार के विरोध के बाद भी उन्हें करीब बीस हजार वोट मिले थे. वर्तमान विधायक सिद्धनाथ पैकरा के बाद वोट पाने वाले उम्मीदवारों में वे दूसरे नंबर थे.

भाजपा ने इसके बाद भी उनके महत्व को नहीं समझा. चुनाव के बाद अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. इससे वे काफी दुखी थी. करीब चार साल तक हाशिए पर रहने के बाद चिंतामणि कांग्रेस में शामिल हो गए. उनका कांग्रेस प्रवेश ऐसे समय पर हुआ है, जब भाजपा से निष्कासन के संकेत मिल रहे थे.

कुछ दिनों पूर्व ही मुख्यमंत्री का श्रीकोट में कार्यक्रम हुआ था. सामूहिक विवाह जैसे इस कार्यक्रम के बाहने चिंतामणि को खुश करने का प्रयास किया गया था. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने चिंतामणि के पिता गहिरा गुरु की प्रशंसा के पुल तो बांधे ही, क्षेत्र के लिए संस्कृत महाविद्यालय जैसी कई घोषाणाएं भी कीं, जिसे स्वयं चिंतामणि बोर्ड के अध्यक्ष रहते नहीं करा पाए थे.

मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अधारशिला रखे जाने से पहले ही चिंतामणि ने कांग्रेस की सक्रिय सदस्यता ग्रहण कर भाजपा के अभेद गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र की दीवार को कमजोर करने की शुरुआत कर दी. कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि जनसेवा के लिए कांग्रेस में आए हैं. भाजपा में रहकर जनसेवा नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने भाजपा सरकार पर इस दौरान जमकर हमला बोला.

कांग्रेस प्रवेश के बाद उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं मनरेगा की मजदूरी भुगतान, बाक्साइट की ओवरलोडिंग से लगातार हो रहे हादसे, क्षेत्र में हुए दर्जन भर हत्याकांड की जांच जैसी मांगें रखी थी मगर भाजपा के झंडाबरदारों को यह पसंद नहीं आया और मुख्यमंत्री ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

अपने पिता के सिद्धांतों का हवाला देते हुए चिंतामणी महाराज ने कहा कि मेरे पिताजी ने कहा था कि जहां रहकर जनता की सेवा न कर सको, जहां आत्म सम्मान में कमी आए वह जगह छोड़ देनी चाहिए. मैंने वही किया. उन्होंने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि चुनाव में भाजपा के लोग जम कर पैसा बांटेंगे, यह पैसा हम से ही लूटा गया है. हम गरीब क्षेत्र के निवासी हैं, पैसे से मन डोले तो ले लेना मगर अपना ईमान नहीं बेचना है.

जाहिर है, कांग्रेस चिंतामणि महाराज को पार्टी में लाकर गदगद है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने कहा कि चिंतामणि सामाजिक कार्यकर्ता गहिरा गुरू के पुत्र हैं. सामरी के अलावा जिले भर में उनके अनुयायी हैं. सनातन धर्म से जुड़े होने के कारण कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ेगा, जिसका सीधा लाभ पार्टी को विधानसभा चुनाव में मिलेगा.

इधर राजनीतिक गलियारे से जो बात निकलकर सामने आ रही है उसके अनुसार चिंतामणि को विधानसभा चुनाव में टिकट मिलना भी लगभग तय माना जा रहा है. भाजपा के लिए यही नुकसान माना जा रहा है. बदले हुए समीकरण में विधायक सिद्धनाथ पैकरा के लिए हैट्रिक लगाना आसान नहीं होगा. चिंतामणि के कांग्रेस प्रवेश पर भाजपा की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन सत्ता व संगठन से जुड़े लोगों में दबे जुबान से यह चर्चा शुरू हो गई है कि चिंतामणि के कांग्रेस में जाने से भाजपा को सीधे नुकसान होगा.

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