राष्ट्र

जिंदल को सबसे ज्यादा नुकसान?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: कोल ब्लॉक आवंटन रद्द् होने से जिंदल को सबसे ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है. बुधवार को जब सर्वोच्य न्यायालय का यह फैसला आया उसके बाद जिंदल स्टील एंड पावर के शेयरों में 9.99 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. जाहिर सी बात है कि निवेशकों को भी लगने लगा है कि जिंदल के शेयरों में निवेश करना अब फायदे का सौदा नहीं रहा है.

गौरतलब है कि जिंदल ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार के पास कोल ब्लॉक ले रखा है. जिंदल स्टील एंड पावर के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने इसी माह पहले कहा था कि आवंटन रद्द होने से ब्लॉक का विकास करने में खर्च हुआ करीब चार लाख करोड़ रुपये बर्बाद हो जाएगा.

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 1993 से 2011 के बीच आवंटित कोयला ब्लॉकों में से चार को छोड़कर शेष सभी आवंटनों को रद्द कर दिया. चार ब्लॉक एनटीपीसी तथा अन्य सरकारी कंपनियों को आवंटित हैं. बुधवार के आदेश के तहत 214 ब्लॉकों का आवंटन रद्द हुआ है. इनमें जिंदल के कोल ब्लॉक भी शामिल हैं.

अदालत के आदेश के साथ ही बुधवार को खनन और बिजली उत्पादन कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई.

खनन, धातु और बिजली उत्पादन कंपनियों जैसे जिंदल स्टील एंड पावर, टाटा स्टील, भूषण स्टील, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और मोनेट इस्पात एंड एनर्जी के शेयरों में गिरावट देखी गई.

बंबई स्टॉक एक्सचेंज में बुधवार को जिंदल स्टील एंड पावर में 9.99 फीसदी गिरावट रही. भूषण स्टील में 4.96 फीसदी गिरावट रही. टाटा स्टील में 2.63 फीसदी, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 0.48 फीसदी, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी में 6.58 फीसदी और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में 2.89 फीसदी गिरावट रही.

बिजली उत्पादन कंपनियों में अडाणी पावर में 2.10 फीसदी, जीवीके पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर में 6.60 फीसदी, जेपी पावर में 5.86 फीसदी और मोजर बेयर में 4.10 फीसदी गिरावट रही.

अदालत ने चार ब्लॉकों को यथावत रहने दिया, ये एनटीपीसी तथा अन्य सरकारी कंपनियों को आवंटित की गई हैं. एक एनटीपीसी तथा एक सेल को तथा दो अन्य रिलायंस पावर की अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना को आवंटित की गई हैं.

बीएसई में कोल इंडिया के शेयरों में 5.02 फीसदी तेजी रही. एनटीपीसी में 0.91 फीसदी और रिलायंस पावर में 5.34 फीसदी तेजी रही.

गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जिन 42 ब्लॉकों में उत्पादन चालू है या उत्पादन चालू होने वाला है, वे अगले छह महीनों तक मौजूदा प्रबंधन के पास ही रहेंगे, जबतक कि केंद्र सरकार इनके फिर से आवंटन पर फैसला नहीं ले लेती.

अदालत ने कहा कि इन 42 ब्लॉकों के प्रबंधन को अगले छह महीने तक प्रति टन खनन किए गए कोयले पर 295 रुपये की रायल्टी का भुगतान करना होगा.

कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिए जाने से बिजली संकट पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है. बाजार की जानकारी रखने वालों का हालांकि यह भी कहना है कि इससे अनिश्चितता दूर होगी और सरकार एक बेहतर नीति अपनाएगी, जिससे प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी.

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने उम्मीद जताई कि अदालत के फैसले के बाद सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा और इसकी शुरुआत कोयला खदान राष्ट्रीयकरण अधिनियम-1973 और खदान खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम 1957 से होनी चाहिए और कोयला खनन तथा उत्खनन को निजी क्षेत्र के लिए खोला जाना चाहिए.

भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा कि उम्मीद है कि जल्दी और पारदर्शी तरीके से कोयला ब्लॉकों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी.

भट्टाचार्य ने कहा, “अनिश्चितता विकास का सबसे खतरनाक शत्रु है. अदालत के फैसले से यह खत्म हो चुकी है.”

उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि तेजी से कदम उठाया जाएगा ताकि कोयले की आपूर्ति प्रभावित न हो और उसके बाद ब्लॉक को फिर से पारदर्शी तरीके से आवंटित करने के लिए नीलामी शुरू होगी.”

अदालत ने यह भी कहा है कि जिन कंपनियों ने कोयला खनन किया है, उन्हें 31 मार्च 2015 तक निकाले गए संपूर्ण कोयले के लिए भुगतान करना होगा.

फैसले से प्रभावित हुई जायसवाल नेको ने कहा कंपनी लंबे समय से खनन करती रही है और अपने लाभ को ग्राहकों को भी पहुंचाती रही है.

उद्योग संघ ने फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “हमारा ध्यान अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान पर है, जिसमें अभी-अभी तेजी आने के संकेत दिखने शुरू हुए थे.”

एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, “अर्थव्यवस्था ताप बिजली पर टिकी हुई है और कोयले से ही विकास का इंजन चलता है, जो रुक जाएगा. साथ ही कोयले का आयात भी बढ़ जाएगा.”

देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में कोयला 60 फीसदी और उसके बाद पनबिजली 16 फीसदी योगदान करती है.

पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार कितनी तेजी से कदम उठाती है.

भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि आदेश से घरेलू कोयले की आपूर्ति पर नकारात्मक असर होगा और निवेशक को हताशा मिलेगी.

परिसंघ ने यहां एक बयान जारी कर कहा, “फैसले से अनिश्चितता पैदा हुई है. इससे बिजली, इस्पात और खनन क्षेत्र प्रभावित होगा. इससे बिजली क्षेत्र में कोयले की आपूर्ति प्रभावित होगी.”

उल्लेखनीय है कि पहले से ही बिजली क्षेत्र की जरूरत पूरी करने के लिए आठ करोड़ टन कोयले का आयात किया जा रहा है.

परिसंघ ने कहा कि इसका असर वित्तीय क्षेत्र पर भी होगा. इन ब्लॉकों में हुए निवेश में बैंकों का 60 फीसदी योगदान रहा है.

परिसंघ ने कहा, “परिसंघ कहना चाहता है कि वह यद्यपि अदालत के पिछली तिथि से प्रभावी होने वाले फैसले का सम्मान करता है, लेकिन इससे आने वाले समय में देश में निवेश का प्रवाह प्रभावित होगा.”

error: Content is protected !!