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राजन से परंपरावादी निराश थे: NYT

मुंबई | समाचार डेस्क: न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार रघुराम राजन से भारत के परंपरावादी निराश थे. शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन द्वारा सितंबर में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद अमरीकी यूनिवर्सिटी में लौट जाने की घोषणा के बाद अमरीकी अख़बार न्यूयार्क टाइम्स में छपे एक लेख में यह टिप्पणी की गई है. इसमें कहा गया है कि रघुराम राजन से भारत के परंपरावादी तथा छोटे व्यवसायी निराश थे जो ब्याज दरों में और कटौती चाहते थे. न्यूयार्क टाइम्स ने कहा है कि रघुराम राजन ही वह अर्थशास्त्री थे जिन्होंने तीन साल पहले 2008 के आर्थिक संकट की भविष्यवाणी कर दी थी.

Head of India’s Central Bank Says He Will Step Down

रघुराम राजन ने महंगाई पर लगाम लगाकर विदेशी निवेशकों का भरोसा जीता था. रघुराम राजन ने उस वक्त रिजर्व बैंक की कमान संभाली थी जब भारतीय अर्थव्यवस्था नाजुक मोड़ पर थी तथा रुपया गिर रहा था. न्यूयार्क टाइम्स ने टिप्पणी की है कि रघुराम राजन ने दो अंकों के मुद्रास्फीति पर लगाम लगाकर अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा जीता था.

रघुराम राजन के इस फैसले पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि भारत सबसे काबिल आर्थिक विचारक को खो रहा है. भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरंधति भट्टाचार्य ने कहा, ‘’डॉ. राजन काफी उंची क्षमता वाले व्यक्ति हैं, उन्होंने हमारे केन्द्रीय बैंक की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में बेहतर काम किया है और कई ऐसे उपाय किये हैं जिससे इसकी विश्वसनीयता काफी बढ़ी है.’’

वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबकुछ आता है. उन्हें रघुराम राजन जैसे विशेषज्ञों की कोई जरूरत नहीं है.” कांग्रेस नेता ने कहा, “डॉ. राजन, कठिन समय में अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए आपको धन्यवाद. आप जैसे लोग भारत को महान बनाते हैं.”

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक का मुख्य काम मौद्रिक नीति तय करना होता है तथा वही बैंकों के ब्याज के दर तय करता है. विदेशी मुद्रा का प्रबंधन करना तथा भारतीय मुद्रा के साख को नियंत्रित करना रिजर्व बैंक का ही काम है. रघुराम राजन ने महीनों से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए अपने सहकर्मियों से आधिकारिक रूप से कह दिया है कि वह दूसरे कार्यकाल के इच्छुक नहीं है और सितंबर में अपना कार्यकाल पूरा होने पर शिक्षा जगत में वापस लौट जाएंगे.

राजन के इस स्पष्टीकरण के तुरंत बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उनकी भूमिका की तारीफ की और कहा कि उनके उत्तराधिकारी के नाम की जल्द ही घोषणा की जाएगी.

राजन ने अपना फैसला सहकर्मियों को संबोधित 888 शब्दों के एक पत्र में जाहिर किया है, जिसकी प्रति रीचे क्लिक करने से पढ़ा जा सकता है.

Message to RBI staff from Dr. Raghuram Rajan

सितंबर 2013 से केंद्रीय बैंक के 23वें गर्वनर के रूप में अपने कार्यकाल को दर्शाते हुए राजन ने कहा है कि उन्होंने वृद्धि के बजाए पहले सुधार पर जोर दिया. उन्होंने संकेत दिया कि काफी कुछ किया गया, लेकिन अभी भी कई काम अधूरे रह गए हैं.

उन्होंने कहा, “सरकार से चर्चा के बाद, मैं आपसे साझा करना चाहूगा कि चार सितंबर, 2016 को अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद मैं वापस शिक्षा जगत में लौट रहा हूं. जब भी देश को मेरी जरूरत होगी, मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगा.”

उन्होंने कहा है कि वह अमरीकी विश्वविद्यालय लौट रहे हैं, जहां से वह छुट्टी पर थे. राजन ने कहा कि उनके कार्यकाल में जो काम अधूरा रह गया, वह है केंद्रीय बैंक की नीतियों के संदर्भ में मोटे तौर पर मार्गदर्शन के लिए एक समिति का गठन और बैंकों के बैलेंस शीट को दुरुस्त करना.

राजन के दूसरे कार्यकाल को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही थीं. ज्यादातर लोग उन्हें दूसरा कार्यकाल दिए जाने के पक्ष में थे, क्योंकि उनका मानना था कि कठिन समय में वह भारत के एक सबसे अच्छे गर्वनर साबित हुए, लेकिन कुछ ने उनकी आलोचना भी की थी.

यही नहीं, राजन को दूसरा कार्यकाल दिलाने के लिए एक ऑनलाइन याचिका भी दायर की गई, जिसे आईआईटी के पूर्व विद्यार्थियों समेत दसियों हजार लोगों का समर्थन मिला. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने खास तौर से राजन के खिलाफ कठोर रुख अपनाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की. लेकिन इस मुद्दे पर मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली खामोश बने रहे.

जेटली ने शनिवार को कहा, “सरकार आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन द्वारा किए गए अच्छे काम की सराहना करती है और उनके फैसले का सम्मान करती है.” उन्होंने कहा कि राजन के उत्तराधिकारी की जल्द ही घोषणा की जाएगी.

इस बारे में अटकलबाजी को तब हवा मिली, जब दो हफ्ते पहले आनंदबाजार पत्रिका ने राजन के करीबी सूत्र के हवाले से एक रपट में कहा कि वह दूसरे कार्यकाल को लेकर ज्यादा इच्छुक नहीं हैं. इसे तब और भी बल मिला जब मोदी ने कहा, “मैं नहीं सोचता की प्रशासनिक फैसले मीडिया की रुचि के विषय होने चाहिए.”

अब जब उन्होंने इनकार कर दिया है, तो रघुराम राजन के समर्थन में ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, जिसमें से ज्यादातर उनके समर्थन में है.

इंफोसिस के सहसंस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति राजन के लिए न सिर्फ एक कार्यकाल, बल्कि उसके बाद भी अगला कार्यकाल देने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा, “इसमें कोई शक नहीं है कि वह देश का मूल्य बढ़ा रहे हैं. जिस तरीके से उनके साथ सलूक किया गया, वह इससे कहीं अधिक गरिमा के हकदार थे.”

लेकिन स्वामी अभी भी बेदर्द बने हुए हैं, “रघुराम राजन एक सरकारी कर्मचारी हैं. हम सरकारी कर्मचारी का चुनाव पॉपुलर वोट या फिर उद्योगपतियों के मत के आधार पर नहीं करते हैं.”

राजनेताओं को शायद ही यह पसंद आता है कि कोई उनके मुंह पर उन्हें सलाह दे. लेकिन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के डॉक्टोरल डिग्री रखनेवाले राजन हमेशा खुलकर अपनी बात रखते हैं.

उनकी कई टिप्पणियों में सबसे हाल की यह टिप्पणी है, जिसे उन्होंने वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारामण की बात खारिज करते हुए की थी, यह कि भारत की अर्थव्यवस्था अंधों में काना राजा की तरह है.

इस बीच पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि उन्हें राजन के पद छोड़ने के फैसले पर कोई आश्चर्य नहीं है.

चिदंबरम ने कहा कि वास्तव में केंद्र की राजग सरकार राजन को रखने की पात्र नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें राजन के इस फैसले से दुख है, लेकिन आश्चर्य बिल्कुल नहीं है.

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