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ये हैं नक्सलियों के सबसे बड़े हमले

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 400 किलोमीटर दूर सुकमा नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है. सोमवार को जिस इलाके में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान मारे गये, उसी इलाके में पिछले महीने की 11 तारीख़ को नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के ही 12 जवान मारे गये थे. मारे जाने वाले जवान सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन के थे.

पिछले कुछ सालों में बस्तर में माओवादी लगातार बड़े हमले करते रहे हैं और अधिकांश अवसरों पर सबसे अधिक नुकसान सीआरपीएफ को उठाना पड़ा है.

सुरक्षाबलों पर नक्सलियों का सबसे बड़ा इसी इलाके में ताड़मेटला में 6 अप्रैल 2010 को हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान मारे गये थे. नक्सलियों के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई के लिये चर्चित शिवराम प्रसाद कल्लुरी उस समय दंतेवाड़ा में ही डीआईजी थे.

नक्सलियों का दूसरा सबसे बड़ा हमला बस्तर के बीजापुर इलाके में 15 मार्च 2007 को हुआ था. रानीबोदली इलाके में नक्सलियों ने आधी रात को सुरक्षाबल के कैंप पर हमला कर पूरे कैंप में आग लगा दी थी, जिसमें सुरक्षाबल के 55 जवान मारे गये थे.

इसी तरह दंतेवाड़ा के इलाके में 17 मई 2010 को दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर नक्सलियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था. इस हमले में सुरक्षाबल के 36 लोग मारे गये थे. मारे जाने वालों में 12 आदिवासी एसपीओ भी शामिल थे.

2010 में ही 29 जून को नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला किया. इस हमले में कुल 27 जवान मारे गए थे.

9 जुलाई 2007 को एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल नक्सलियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था. इस दल पर नक्सलियों ने हमला बोला था, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए.

नक्सलियों ने किसी राजनीतिक दल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला छत्तीसगढ़ के ही दरभा घाटी में किया था. 25 मई 2013 को बस्तर के दरभा घाटी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे.

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