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दलितों के खेत जोतने व मंदिर जाने पर रोक

ग्वालियर | एजेंसी: वे दलित हैं, इसलिए उन्हें अछूत बना दिया गया है, गांव के दबंगों ने उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया. वे अपने खेत की जुताई नहीं कर सकते, नलों से पानी नहीं भर सकते और मंदिर नहीं जा सकते. विरोध करते हैं तो सबक सिखाने की धमकी दी जाती है, अब पीड़ितों ने पुलिस के दरवाजे पर दस्तक देकर मदद मांगी है.

मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के कैथ गांव का है. यह गांव चीनौर थाना क्षेत्र में आता है. दबंगों ने यहां के एक दलित परिवार का जीना मुश्किल कर दिया है. आलम यह है कि यह परिवार अपनी मर्जी से कोई काम नहीं कर पा रहा है.

परिवार का बुजुर्ग सदस्य हुकमा राम बताता है कि दबंग उसे अपनी खेती की जमीन को जोतने नहीं दे रहे हैं. वह जमीन जोतने की कोशिश करता है तो उसे धमकाया जाता है. इतना ही नहीं, उसके परिवार के सदस्य मंदिर दर्शन करने तक नहीं जा पा रहे हैं. मंदिर जाते हैं तो वहां भी उन्हें धमकाया जाता है.

परिवार की बुजुर्ग महिला पुक्खो बाई का कहना है कि उनके परिवार की महिलाएं नलों पर पानी भरने को नहीं जा पा रही हैं. इतना ही नहीं, उनसे बदसलूकी भी की जा रही है. काफी अरसे से यही हाल है, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा.

पीड़ित परिवार के युवा सदस्य राजाराम का कहना है कि गांव के दबंग उनकी जमीन हथियाना चाहते हैं, इसीलिए उन्हें तरह-तरह से परेशान किए जा रहे हैं. थाने की पुलिस ने भी उनकी नहीं सुनी, तब वे पुलिस अधीक्षक के पास आए हैं.

पीड़ित परिवार ने थाने में जाकर शिकायत की, लेकिन बात अनसुनी कर दी गई. आखिर में वे गुरुवार को पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह के कार्यालय में जा पहुंचे. पीड़ितों ने सिंह को आपबीती सुनाई.

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पीड़ितों ने उन्हें अपने साथ हो रहे बर्ताव की जानकारी दी है, उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी पुलिस को गांव जाकर जांच कर पीड़ितों की मदद करने और दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

वैसे तो संविधान में दलितों को बराबरी का हक दिलाने का प्रावधान है, सरकार उनके सशक्तीकरण के लिए योजनाएं भी चला रही है, लेकिन हकीकत गाहे-बगाहे सामने आ ही जाती है.

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