छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बढ़ी जिमीकंद की मांग

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के बाजार में इन दिनों जिमीकंद, कुंहड़ा और कोचई की मांग अचानक बढ़ गई है. आमतौर पर इन सब्जियों की मांग अपेक्षाकृत कम ही रहती है. बाजार में कभी ग्राहकों को तरसते कद्दू के विक्रेता इन दिनों कद्दू और अरबी की मांग से कुछ ज्यादा ही हैरान हैं.

सुनने में यह अजीब तो लगेगा, पर है यह सौ प्रतिशत सही. इसकी मुख्य वजह है दीपावली त्योहार के तुरंत बाद होने वाली गोवर्धन पूजा जिसमें इन सब्जियों के खास तौर पर खट्टी और रसीली रेसिपी तैयार की जाती है. यह कहा जाए कि इस रेसिपी के बगैर गोवर्धन पूजा का त्योहार ही अधूरा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

राजधानी के बाजार में थोक सब्जी का व्यवसाय करनेवाले राजू पटेल अचानक इन सब्जियों की मांग बढ़ने के कारण असमंजस में हैं कि ग्राहकों की मांग कहां से पूरी करें. वह त्योहार को देखते हुए हालांकि पहले से तैयार थे, पर जिस पैमाने पर इसकी खपत बढ़ी है, वह भी हैरान हैं.

बताया जाता है कि कई ग्राहक तो आस-पास के गांवों तक पहुंचकर कद्दू उगाने वालों के पास जाकर अपना कद्दू सुरक्षित करवा रहे हैं. यही नहीं, लोग किलो-दो किलो नहीं पूरा एक कद्दू खरीदना भी ज्यादा पसंद कर रहे हैं. एक बड़े और संयुक्त परिवार के लालाराम वर्मा ने बताया कि उन्होंने तो एक साथ दस कद्दू खरीद लिया है.

चलिए, अब जान लेते हैं कि दिवाली के ठीक पहले जिमीकंद, कद्दू और अरबी के लिए ज्यादा मारामारी क्यों होती है.

सूबे में हर त्योहार के साथ एक न एक फूड हैबिट भी जुड़ी है. इसलिए यहां के अलग-अलग त्योहारों में अलग-अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं. तीजा पोला में ठेठरी, खुरमी तो होली में गुलगुले, कमरछठ में छह तरह की भाजियां तो दिवाली के दिन चावल के आटे का फरा और अन्य प्रकार के मिष्ठान्न बनाए जाते हैं. कुंहड़ा और अरबी की मांग बढ़ने के पीछे भी ऐसी ही एक दिलचस्प वजह है.

भटगाव के मनोज शर्मा ने बताया कि दिवाली के दूसरे दिन, यानी गोवेर्धन पूजा के दिन लोग अपनी गायों और पशुधन की पूजा करते हैं. इसके बाद उन्हें पहले खिलाने के बाद उनका जूठा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. उसके बाद ही खुद खाना खाते हैं.

इस दिन गायों के लिए विशेष रूप से खिचड़ी तैयार की जाती है जिसमें पूरी सब्जी इत्यादि मिलाकर उन्हें खिलाया जाता है. यह अपने आपमें आश्चर्य है कि इस दिन पूरे राज्य में, हर घर में अरबी और कद्दू की सब्जी मठे के साथ बनाई जाती है, जिसका स्वाद बेजोड़ होता है.

सूबे में दीपावली के तत्काल बाद होने वाली गोवेर्धन पूजा ही एक ऐसा मौका है जिस दिन कोई किसी से नहीं पूछता कि उनके यहां कौन सी सब्जी बनी है. सबके यहां एक ही सब्जी और एक ही तरह का खाना बनता है.

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