छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बिजनेस आधा हो गया

रायपुर | संवाददाता: अब यह मान लिया गया है कि व्यापार आधा हो गया है. जीं हां, नोटबंदी के बाद से छत्तीसगढ़ का व्यापार आधा रह गया है. सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ भेजे गये अधिकारियों की रिपोर्ट यही कहती है.

गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद हालात का जायजा लेने के लिये केन्द्र सरकार की तरफ से दो आईएएस अफसर मनोज पिंगुआ तथा अरविंद सिंह को भेजा गया था.

दोनों ने छत्तीसगढ़ की जमीनी हकीकत का जायजा लेने के बाद पीएमओ तथा केन्द्रीय वित्त मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है. सूत्रों का दावा है कि उस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में व्यापार के आधे हो जाने की बात कही गई है.

उल्लेखनीय है कि नोटबंदी से छत्तीसगढ़ के बड़े से लेकर छोटे उद्योग-धंधे सभी प्रभावित हो रहे हैं. जिसमें पोल्ट्री फॉर्म, अनाज, सब्जी, ट्रांस्पोर्टर, दवा दुकान, मनिहारी दुकान, किताब-कापी की दुकान सभी प्रभावित हो रहें हैं.

नोटबंदी के बाद से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. चूंकि, राज्य के सहकारी बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में सूचीबद्ध नहीं हैं इसलिये किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहते हैं 13 दिन के आकड़ें-

* सब्जी बाजार को पिछले 13 दिनों में 1.26 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 4.78 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

* अनाज के व्यापार को 65 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 247 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

* इसी तरह से इलेक्ट्रानिक्स के कारोबार को 95 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 361 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

* रियल स्टेट कारोबार को 360 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 1368 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

* सराफा व्यापार को 71 करोड़ का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 269.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

इस तरह से देखा जाये तो केवल इन चुनिंदा व्यवसाय में ही 592 करोड़ का नुकसान हो चुका है. गणितीय गणना के अनुसार यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति रही तो आने वाले 7 हफ्तों में 2,249.58 करोड़ रुपयों का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

नोटबंदी के बाद बाजार से 500 और 1000 के नोट गायब हो गये तथा उसका स्थान 2000 के बड़े नये नोटों ने ले लिया है. अब इन 2000 के नोटों के कारण चिल्हर की समस्या खड़ी हो गई है. आखिर 50 और 100 रुपये के इतने नोट उपलब्ध नहीं हैं कि उनसे 500 और 1000 के नोट की भरपाई हो सके.

उम्मीद की जा रही है कि 500 के नये नोट आ जाने के बाद स्थिति में सुधार आयेगा. उसके बाद भी यक्ष प्रश्न रह ही जाता है कि व्यापार में जो घाटा हुआ है उसका इस मंदी के दौर में किस तरह से भरपाई हो पायेगी.

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