कलारचना

पेशावर के जख्म से व्याकुल दिलीप कुमार

मुंबई | मनोरंजन डेस्क: जिस धरती पर दिलीप कुमार ने जन्म लिया था आज वह धरती मासूस बच्चों के बेगुनाह खून से लथपथ है. दिलीप कुमार अपने जन्म स्थान पेशावर में मारे गये बच्चों के परिजनों से मिलना चाहते हैं. पेशावर में तालिबानी आतंकवादियों द्वारा बच्चों के कत्लेआम से दिलीप कुमार व्याकुल हो गये हैं. दिलीप कुमार के जेहन में अब भी पेसावर से जुड़ी हुई यादे हैं जिसमें हाल ही में हुआ बच्चों का कत्लेआम अब एक बुरे सपने के समान शामिल हो गया है. बॉलीवुड के वयोवृद्ध अभिनेता दिलीप कुमार ने गुरुवार को कहा कि उनकी हसरत पेशावर शहर के एक स्कूल में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में मारे गए मासूम बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उनका दर्द बांटने की है. दिलीप स्वयं भी पेशावर के रहने वाले हैं.

दिलीप की पत्नी सायरा बानो ने कहा कि दिलीप कुमार पेशावर स्कूल में हुए कत्लेआम से सकते में हैं.

92 वर्षीय दिलीप ने कहा, “मेरा जन्म अविभाजित भारत के खूबसूरत शहर पेशावर में हुआ है. मेरे जहन में अब भी उस जगह से जुड़ी कई खास यादें बसी हुई हैं. पाकिस्तान के तालिबान आतंकियों ने पेशावर में स्कूली बच्चों के साथ जो किया, वह पाप और अक्षम्य है.”

पेशावर में अब भी दिलीप कुमार का पैतृक घर है. उन्होंने कहा, “इस कत्लेआम ने मुझे बयां न होने वाले जख्म दिए हैं. मेरा दिल इस क्रूरतम अपराध में अपने बेटे-बेटियों को खोने वाले माता-पिताओं से मिलने को व्याकुल है.”

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के पेशावर शहर में मंगलवार को तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान ने एक सन्य स्कूल में घुसकर 132 विद्यार्थियों को मौत के घाट उतार दिया.

दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ खान का परिवार 1930 के दशक में कारोबार की वजह से महाराष्ट्र आकर बस गया था. हिंदी सिनेमा जगत से ही उन्हें दिलीप कुमार नाम मिला.

दिलीप कुमार ने कहा, “मैं ऊपर वाले से दुआ करता हूं कि उन शोक संतप्त अभिभावकों को उनके इस दुख और खौफ के साथ जी पाने की हिम्मत दे.”

उन्होंने कहा, “ऐसी बुरी ताकतों को कुचलने और उखाड़ फेंकने का वक्त आ गया है.”

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