देश विदेश

असहिष्णुता के खिलाफ दिग्गज

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राष्ट्रपति तथा आरबीआई के गवर्नर ने देश में असहिष्णुता की खिलाफत की है. इससे एक दिन पहले रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी मोदी सरकार को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया था. इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने भी चिंता जताई कि भारत में अल्पसंख्यकों के मन में काफी डर है और वह चाहते हैं कि सरकार को उनमें विश्वास की भावना वापस लानी चाहिए. उन्होंने कहा, मैं नेता नहीं हूं. मेरी राजनीति में दिलचस्पी नहीं है, इसलिए मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं लेकिन आज हकीकत है कि भारत में अल्पसंख्यकों के दिमाग में काफी डर है. उन्होंने कहा कि दूसरे क्षेत्र में रह रहे एक क्षेत्र के लोगों के लोगों के दिमाग में भी काफी डर था. गौरतलब है कि देश में बढ़ती असहिष्णुता के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने देश को आगे ले जाने के लिए शनिवार को सहिष्णुता पर जोर दिया. राष्ट्रपति ने कहा कि सबको आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण भारत समृद्ध हुआ है.

मुखर्जी ने यहां विज्ञान भवन में दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा देश आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण समृद्ध हुआ है. हमारा बहुलतावादी चरित्र समय पर खरा उतरा है.”

उन्होंने कहा, “भारत तीन जातीय समूहों -भारोपीय, द्रविड़ और मंगोल- से संबंधित 1.3 अरब लोगों का देश है, जहां 122 भाषाएं और 1,600 बोलियां बोली जाती हैं और यहां सात धर्मो के अनुयायी हैं.”

दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह का विषय सबके लिए न्याय है. इस विषय के बारे में उन्होंने कहा, “इसका अर्थ कमजोर को सशक्त बनाना और किसी की व्यक्तिगत पहचान के इतर कानून का समान प्रवर्तन करना.”

राष्ट्रपति ने कहा, “विविधिता हमारी सामूहिक शक्ति है, जिसका किसी भी कीमत पर संरक्षण किया जाना चाहिए. हमारे संविधान के विभिन्न प्रावधानों में यह स्पष्ट है.”

उधर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए रघुराम राजन ने सहिष्णुता की वकालत करते हुए कहा कि सहिष्णुता से कई अपराधों पर लगाम लगाया जा सकता है और भारत ने बहस का संरक्षण किया है और विभिन्न विचारों का हमेशा स्वागत किया है.

राजन ने कहा कि सहिष्णुता और एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना से समाज में संतुलन कायम होगा.

रेटिंग एजेंसी मूडीज की चेतावनी के एक दिन बाद उन्होंने कहा कि सौभाग्यवश भारत ने बहस और विभिन्न विचारों का हमेशा संरक्षण किया है.

उन्होंने कहा कि कोई भी विचार अथवा व्यवहार जिससे किसी खास तबके अथवा समूह को ठेस पहुंचती है, उस पर रोक लगनी चाहिए और बेहतर होगा कि हम त्वरित रोक लगाने के बजाय सहिष्णुता और आपसी सम्मान के जरिए विचारों के लिए बेहतर परिवेश बनाएं.

राजन ने कहा कि निश्चित रूप से हमारे जैसे गरीब देश कुछ और लोगों को काम पर लगाकर, उन्हें कम उत्पादकता वाली कृषि से हटाकर उच्च मूल्यवर्धित उद्योग या सेवाओं से जोड़कर और उन्हें काम हासिल करने के लिए बेहतर तरीका देकर कुछ और समय के लिए वृद्धि दर्ज कर सकते हैं.

वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा कि देश में व्याप्त असहिष्णुता के स्तर से वह दुखी हैं. उन्होंने लोगों को एकता के लिए काम करने हेतु प्रोत्साहित किया.

बनर्जी ने ट्वीट किया, “आज असहिष्णुता का जो स्तर है, उससे दुखी हूं. इतना फूट डालो और राज करो क्यों? हम एकता की बात करें और एकजुट हों. हम एकता के लिए काम करें.”

ममता ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर उन्हें याद किया.

उन्होंने कहा, “भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल जी को उनकी जयंती पर याद कर रही हूं. एकजुट भारत का उनका दृष्टिकोण सफल हो.”

बनर्जी ने दिल्ली में केरल हाउस में पुलिस की छापेमारी की कड़ी निंदा की और एक ट्वीट में कहा कि जनता के मौलिक अधिकारों के हनन की यह एक अनुचित और असभ्य प्रयास है.

बंगाल के अन्य राजनीतिक दलों ने भी जनता के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की निंदा की है.

बुद्धिजीवियों के एक समूह और गैर सरकारी संगठनों ने देश में बढ़ रही असहिष्णुता के खिलाफ सड़क पर उतर कर विरोध जताया और खुलेआम गोमांस की पार्टी आयोजित की.

कवियों, रंगमंच कलाकारों, राजनेताओं ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जहां वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस खाने के अफवाह में एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या, कन्नड़ विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्या और दिल्ली के केरल हाउस में पुलिस की छापेमारी जैसी हाल की घटनाओं के खिलाफ आवाज बुलंद की.

error: Content is protected !!