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छत्तीसगढ़ के शहद पर बाबा रामदेव की नज़र

रायपुर | संवाददाता: बाबा रामदेव की पतंजलि की नज़र छत्तीसगढ़ के शहद पर है. पतंजलि की कोशिश है कि छत्तीसगढ़ की शहद की बिक्री का अधिकार उसे मिल जाये. पतंजलि लगातार इसकी कोशिश में है.

यहां याद रहे कि छत्तीसगढ़ में ही पतंजलि के शहद एवं बिस्कुट राज्य के खाद्य एवं औषधि विभाग की जांच में मानक के अनुरूप नही पाए गए थे. पतंजलि के तीन उत्पादके सैंपल राजधानी की दो अलग अलग दुकानों से लिए गए थे, जिनकी जांच प्रयोगशाला में की गई तो तीनों उत्पाद मानक के अनुरूप नही पाए गए. विभाग का कहना था कि इन उत्पादों की पैंकिंग में जो दावे किए गए थे, जांच में वह सभी भ्रामक पाए गए थे. पतंजलि के खिलाफ मिस लीडिंग और मिस ब्रांडिंग का मुकदमा भी दर्ज किया गया था. ऐसे में छत्तीसगढ़ के शहद का अधिकार लेने की कोशिश को समझा जा सकता है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के शुद्ध शहद की मांग दुनिया भर में है. राज्य सरकार का उपक्रम संजीवनी देश के कई हिस्सों में इसकी आपूर्ति करता है. कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि संजीवनी के अलग-अलग केंद्रों में शहद मिल नहीं पाता. राज्य के आदिवासी बड़ी संख्या में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं और लाखों रुपये कमा रहे हैं.

लेकिन अमानक होने का आरोप झेल रही पतंजलि की कोशिश है कि संजीवनी जो शहद बेचता है, उसका अधिकार पतंजलि को मिल जाये और पतंजलि ही मुनाफा कमाये. जाहिर है, शुद्ध शहद का तर्क तो है ही. यानी छत्तीसगढ़ के शहद को पतंजलि अपने ब्रांड के तहत बेचे.

बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि के मुखिया आचार्य बालकृष्ण दिसंबर में जब छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आये थे, उस समय छत्तीसगढ़ के शहद को पतंजलि को सौंप देने की पूरी तैयारी हो गई थी. कुछ नौकरशाह और एक बड़े व्यवसायी की पहल पर सरकार की ओर से अनुबंध की तमाम औपचारिकतायें पूरी कर ली गई थीं. लेकिन बताते हैं कि राज्य के वन मंत्री महेश गागड़ा के विरोध के कारण मामला टल गया.

लेकिन पतंजलि ने हार नहीं मानी है और एक बार फिर से इस बात की कोशिश चल रही है कि छत्तीसगढ़ के शहद की बिक्री का अधिकार संजीवनी से ले कर पतंजलि को दे दिया जाये. सूत्रों का दावा है कि निकट भविष्य में पतंजलि की ओर से मधुमक्खी पालन की शुरुआत कर छत्तीसगढ़ के शहद को अपनाने की कोशिश की जायेगी और अगर यह प्रयोग सफल रहा तो पतंजलि इसे राज्य भर में विस्तारित करेगा.

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