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भारत परमाणु अप्रसार हेतु प्रतिबद्ध: मनमोहन

नई दिल्ली | एजेंसी: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत अप्रसार के प्रति प्रतिबद्ध है और परमाणु हथियारों के ‘इस्तेमाल की पहल’ नहीं करने पर वैश्विक सम्मेलन किया जाना चाहिए.

रक्षा अनुसंधान एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) की ओर से यहां ‘परमाणु मुक्त दुनिया : विचार से वास्तविकता’ पर आयोजित एक संगोष्ठी में प्रधानमंत्री ने कहा, “यदि परमाणु शक्ति से संपन्न सभी देश इसे स्वीकार और घोषित करें तो हम तुरंत ही वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल की पहल नहीं करने का नियम स्थापित करने के लिए कदम उठाएंगे. कई तरह से यह चरणबद्ध कमी की राह खोलेगा और अंतत: परमाणु हथियार प्रस्ताव के जरिए खत्म करेगा.”

उन्होंने कहा कि भारत परमाणु अप्रसार के प्रति प्रतिबद्ध है.

उन्होंने आगे कहा, “एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति संपन्न और अप्रसार के प्रति अभी तक प्रतिबद्ध राष्ट्र के रूप में भारत परमाणु हथियारों से मुक्त राष्ट्र के विचार का समर्थन करता है.”

उन्होंने कहा, “परमाणु सुरक्षा को मजबूत करते हुए भारत ने असैनिक परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और निश्चित विस्तार के अपने लक्ष्य को बढ़ावा दिया है. परमाणु सुरक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हम कोई समझौता बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि परमाणु हथियार का एक ही काम परमाणु हमले का प्रतिरोध करना है.

मनमोहन सिंह ने कहा, “परमाणु हथियार के एकमात्र लक्ष्य पर आज कई तरह की बातें की जा रही है, लेकिन उनकी मौजूदगी परमाणु हमले का प्रतिरोध होना चाहिए.”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने नि:शस्त्रीकरण के लिए कई पहले किए और इस बात पर कहीं से भी संदेह नहीं है कि परमाणु हथियार से संपन्न भारत जैसा देश नि:शस्त्रीकरण का पैरोकार है.

उन्होंने याद दिलाया, “1950 में हमने परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परमाणु फ्रीज और परमाणु हथियार की धमकी या उसके इस्तेमाल को निषिद्ध करने के लिए प्रस्ताव का आान किया था.”

1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने परमाणु हथियार मुक्त और अहिंसक विश्व व्यवस्था बनाने के लिए एक कार्ययोजना प्रस्तुत की थी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का 2032 तक तीन स्तरीय कार्यक्रम के जरिए 62,000 मेगावाट परमाणु विद्युत उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है.

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