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भारत एशियाई आशा की किरण: मोदी

सियोल | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भारत, एशिया के लिये आशा की किरण है. भारत के विकास के साथ ही एशिया का विकास होगा. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण कोरिया की यात्रा के दूसरे दिन मंगलवार को कहा कि भारत एशिया में आशा की नई किरण है और इस देश की प्रगति से ही एशियाई सपना साकार होगा. एशियाई नेतृत्व मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत की प्रगति एशियाई सफलता की कहानी होगी. इस कार्यक्रम में दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून तथा कतर के शाही परिवार के सदस्य शेख मोजा भी मौजूद थे.

उन्होंने कहा कि भारत का वार्षिक विकास दर बढ़कर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है और यह भविष्य में बड़े विकास की ओर अग्रसर है.

मोदी ने कहा, “एशिया अधिक सफल तभी होगा, जब सभी एशियाई देश साथ मिलकर प्रगति करेंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि समृद्ध देशों को उन देशों के साथ अपने संसाधन और बाजार साझा करने के लिए तैयार रहना चाहिए, जिन्हें इनकी आवश्यकता हो.

प्रधानमंत्री ने कहा, “एशिया के दो चेहरे नहीं होगे- एक आशा एवं समृद्धि का और दूसरा तंगी और निराशा का. विकास को निश्चत रूप से अधिक समावेशी होना चाहिए, चाहे यह राष्ट्र के भीतर हो या विभिन्न राष्ट्रों के बीच. यह न सिर्फ देश की सरकार की जवाबदेही है, बल्कि क्षेत्रीय जिम्मेदारी भी है.”

बकौल मोदी, “भारतीय नीतियों का आधार यही सिद्धांत है. और, यह दुनिया में हमारे प्राचीन विश्वास ‘वसुधव कुटुम्बकम’ से प्रेरित है, जिसका अर्थ यह है कि पूरी दुनिया एक परिवार है.”

उन्होंने जलवायु परिवर्तन की समस्या से लड़ने के लिए सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा हेतु कम खर्च वाले निर्माण एवं नवाचार पर जोर दिया.

एशिया के समावेशी विकास के लिए उन्होंने क्षेत्र की कृषि व्यवस्था को बदलने हेतु नवाचार एवं प्रौद्योगिकी के संयोजन पर बल दिया.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक अधिकांश एशियाई नागरिक शहरों में रहेंगे और भारत में दुनिया की कुल शहरी आबादी का करीब 11 प्रतिशत हिस्सा होगा. मोदी के अनुसार, “यही वजह है कि मैं भारत में शहरी नवीनीकरण तथा स्मार्ट शहरों पर अधिक बल देता हूं. और भी बहुत कुछ है, जो हम सियोल जैसे शहरों से सीख सकते हैं.”

मोदी ने कहा, “एशिया में संपर्क की दृष्टि से भारत चौराहे की तरह है और हम परस्पर संबद्ध एशिया के निर्माण की अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. हमें अपने क्षेत्र को बुनियादी संरचना के जरिए एक-दूसरे से संबद्ध करना चाहिए और इन्हें व्यापार तथा निवेश से जोड़ना चाहिए.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि एशियाई देशों को एकजुट होकर वैश्विक मामलों में वृहद भूमिका निभानी चाहिए. उन्हें संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद सहित अन्य वैश्विक गवर्नेस संस्थाओं में सुधार के लिए एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए.

उन्होंने कहा, “एशियाई देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता हमें पीछे धकेलेगी, जबकि एशियाई एकजुटता दुनिया को नई शक्ल देगी.”

बाद में भारत और दक्षिण कोरिया की कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने दोनों देशों के बीच प्राचीन बौद्ध संबंधों पर जोर दिया.

कोरियाई लोगों में उद्यमशीलता की सराहना करते हुए मोदी ने उनके द्वारा वैश्विक ब्रांड निर्मित करने और बाजार में बने रहने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “भारत में हम वह सब हासिल करना चाहते हैं, जो कोरिया पहले ही हासिल कर चुका है. यही वजह है कि एक बड़े व्यवसायी प्रतिनिधिमंडल के साथ मैं यहां हूं.”

जनवरी 2010 में भारत-कोरिया सीईपीए पर हस्ताक्षर के बाद दोनों देशों में व्यापार बढ़ने पर खुशी जताते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार में सुधार को लेकर अब भी काफी संभावना है. उन्होंने कहा कि भारत की सॉफ्टवेयर और कोरिया की हार्डवेयर इंडस्ट्री में भी सहयोग की काफी संभावना है.

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