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कमजोर रुपया धराशायी हुआ

मुंबई | एजेंसी: बुधवार को भारतीय मुद्रा रुपया और कमजोर होकर धराशायी हो गया इसी के साथ शेयर बाजार भी धड़ाम से गिर पड़ा. रुपया, डालर के मुकाबले 69 के स्तर के करीब पहुंच गया तथा शेयर बाजार 500 अंक गिर गया. इसी के साथ ही सोने का मूल्य 32 हजार से ऊपर चला गया.

भारतीय मुद्रा रुपये के अवमूल्यन के लिये राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियां दोनों जिम्मेदार हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह माना जा रहा है कि अमरीका, सीरिया पर हमला कर सकता है. इसी आशंका के चलते पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्य बढ़ सकते हैं क्योंकि युद्ध से तेलों के आवागमन पर असर पड़ता है. इसी के साथ युद्ध में पेट्रोलियम पदार्थों की खपत बढ़ जाती है. पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्य बढ़ने से भारतीय मुद्रा का गिरना तय है.

दूसरी ओर देश की आर्थिक स्थिति डावांडोल है. चालू बजट खाते का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. केन्द्र सरकार तथा रिजर्व बैंक के लाख कोशिशों के बावजूद इस घाटे को कम नही किया जा सका है. कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार इसके लिये सरकारी नीतियां जिम्मेदार हैं. देश दिन पर दिन आत्मनिर्भरता को छोड़ कर आयात पर निर्भर होता जा रहा है. हमारे देश को इन आयातों का मूल्य डालर में चुकाना पड़ता है. डालर की जरूरत बढ़ने से वह महंगा होता जा रहा है.

दूसरी ओर विदेशों को निर्यात किये जाने वाले सामग्री में कमी आई है. इससे हमारे देश में विदेशी मुद्रा का आना कम होता जा रहा है. जबकि हम ज्यादा डालर का भुगतान कर रहें हैं.

आयात से जो मुद्रा जाती है तथा निर्यात से जो मुद्रा देश में आती है उसके संतुलन को ही व्यापार घाटा, चालू बजट खाते का घाटा कहा जाता है. इसके बढ़ने से देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर माना जाता है तथा इसी आशंका एवं मनोवैज्ञानिक दबाव के चलते रुपया गिरता ही चला जा रहा है.

ऐसा भी माना जा रहा है कि खाद्य सुरक्षा से देश के बजट पर जो दबाव आने वाला है उसके डर से ही शेयर बाजार धड़ाम से गिर गया है. निवेशक अपना पैसा शेयरों से निकाल कर सुरक्षित जगह निवेश कर रहें हैं. ज्यादातर निवेश सोने में किया जा रहा है इसलिये सोना महंगा होता जा रहा है.

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