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मप्र: निर्वाचन आयोग का पक्ष पूछा

जबलपुर | एजेंसी: सरकार या उसकी एजेंसी के साथ कारोबार करने वालों को चुनाव लड़ने के अयोग्य बताने वाले जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का पालन न किए जाने के खिलाफ मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर की गई जनहित याचिका पर युगल खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग का पक्ष पूछा है. इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी. याचिकाकर्ता संजीव पांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा नौ का निर्वाचन आयोग कड़ाई से पालन नहीं करता है. जिसके कारण सरकार या सरकार की एजेंसी के साथ व्यापार करने वाले भी चुनाव लड़ते आ रहे हैं तथा जनप्रतिनिधि भी निर्वाचित हो रहे हैं.

याचिका में बताया गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा नौ ए में स्पष्ट प्रावधान है कि सरकार व उसकी एजेंसियों के साथ व्यापार करने वाले चुनाव लड़ने के आयोग्य हैं. इस धारा का कड़ाई से पालन नहीं किए जाने के कारण सरकार व उसकी एजेंसियों से व्यापार करने वाले चुनाव लड़ते हैं और जनप्रतिनिधि भी बन जाते हैं.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश चंद्र ने बताया कि सरकार के साथ व्यापार करने वाले ही चुनाव जीत कर नीति निर्धारण करने लगें तो स्वाभाविाक तौर पर स्वयं के लाभ के लिए निर्णय लेंगे. जिस प्रकार नामांकन पत्र में धारा आठ व आठ ए में दिए गए प्रावधानों के संबंध में जानकारी मांगी जाती है, उसी प्रकार नामांकन पत्र में इस संबंध में भी प्रावधान होना चाहिए. जनता किन व्यक्तियों को वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि बना रही है, उसके संबंध में सभी जानकारी जनता को मालूम होनी चाहिए.

याचिका में यह भी कहा गया था कि इस संबंध में उन्होंने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की थी. चुनाव आयोग ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गई है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश चंद्र ने बताया कि निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ने जवाब पेश करने का समय प्रदान करने का युगल पीठ से आग्रह किया. युगल पीठ ने इस संबंध में निर्वाचन आयोग से निर्देश प्राप्त कर अगली सुनवाई में न्यायालय को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं.

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