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JNU: दलित छात्र की संदिग्ध मौत

नई दिल्ली | संवाददाता: जेएनयू के दलित शोध छात्र का संदिग्ध शव सोमवार को मिला है. दलित शोध छात्र मुथुकृष्णनन जीवानाथम का शव फांसी के फंदे पर झूलता हुआ अफने एक मित्र के घऱ में मिला है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि जब वह मौके पर पहुंती तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. पुलिस ने दरवाजा तोड़कर पंखे से लटकते शव को बरामद किया है. दिल्ली पुलिस इसे आत्महत्या का केस मानकर चल रही है. पुलिस का कहना है कि मुथुकृष्णनन जीवानाथम अपने एक दक्षिण कोरियाई मित्र के यहां सोमवार को खाने पर गये थे. खाना खाने के बाद उसने कमरा बंद कर लिया था.

घटना पर दुख जताते हुये ‘जॉइंट ऐक्शन कमिटी फॉर सोशल जस्टिस’ के एक सदस्य ने बताया, “मुतुकृष्णन दलित आंदोलनों में सक्रिय रहते थे. हम इस घटना के बाद बेहद हैरान हैं. वह बहुत अच्छा लिखते थे और अच्छे स्कॉलर थे. उन्होंने पिछले साल रोहित वेमुला की मां पर बहुत अच्छा आलेख लिखा था.”

मुतुकृष्णन हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र थे तथा जेएनयू में एमफिल कर रहे थे. वे तमिलनाडु के के सेलम जिले के रहने वाले थे. दिल्ली के अतिरिक्त डीसीपी चिन्मय बिस्वाल ने बीबीसी से कहा, “अभी तक हमें लग रहा है कि ये निजी कारण से आत्महत्या का मामला है. हमें कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. अभी इसे यूनिवर्सिटी से जोड़कर देखने का कोई कारण हमारे पास नहीं है.”

मुथुकृष्णनन जीवानाथम ने फेसबुक पर रजनी कृश के नाम से प्रोफाइल बना रखी है. उसके एक पोस्ट को लेकर कयासो का बाजार गर्म है जिसमें उसने असमानता के मुद्दे पर लिखा है.

दलित शोध छात्र मुथुकृष्णनन जीवानाथम फ़ेसबुक पर ‘माना’ नाम से एक श्रंखला में कहानियां लिख रहे थे. जिसमें लिखा गया है, “जब समानता को नकार दिया जाता है तब हर चीज़ से वंचित रखा जाता है. एम. फिल/पीएचडी दाख़िलों में कोई समानता नहीं है, मौखिक परीक्षा में कोई समानता नहीं है. सिर्फ समानता को नकारा जा रहा है. प्रोफ़ेसर सुखदेव थोराट की अनुसंशा को नकारा जा रहा है. एडमिन ब्लॉक में छात्रों के प्रदर्शन को नकारा जा रहा है. वंचित तबके की शिक्षा को नकारा जा रहा है. जब समानता को नकार दिया जाता है तब हर चीज़ से वंचित कर दिया जाता है.”

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