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JJ बिल राज्यसभा में पारित

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: ‘किशोर दोषी’ के रिहा होने के बाद राज्यसभा में मंगलवार को किशोर न्याय विधेयक पारित कर दिया गया. इस विधेयक में जघन्य अपराधों में संलिप्त 16 से 18 आयुवर्ग के किशोरों के लिए सजा का प्रावधान वयस्क व्यक्ति के समान किए जाने का प्रावधान है. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है.

राज्यसभा में महत्वपूर्ण विधेयकों को तत्काल पेश करने को लेकर सदस्यों के बीच सहमति बनने के एक दिन बाद मंगलवार को किशोर न्याय संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई. सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता निर्भया (23) की मां आशा देवी व पिता बद्रीनाथ विधेयक पर चर्चा के वक्त राज्यसभा की दर्शक दीर्घा में मौजूद थे. निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में एक चलती बस में पांच लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम दिया था.

दिल्ली में 16 दिसम्बर, 2012 को हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषी किशोर (अब बालिग) की सुधार गृह में तीन साल की अवधि पूरी हो चुकी है.

किशोर न्याय विधेयक (बाल देखरेख एवं संरक्षण), 2014 में जघन्य अपराधों में संलिप्त 16-18 साल के किशोर-किशोरियों पर भी वयस्कों के समान ही मुकदमा चलाने का प्रावधान है. इसके अलावा कम संगीन अपराध में संलिप्त पाए जाने पर 16-18 साल के उन किशोर-किशोरियों से वयस्कों के समान ही बर्ताव करने का प्रावधान है जैसा 21 साल की उम्र के बाद गिरफ्तार किए जाने वाले अपराधी से किया जाता है.

इससे पहले, निर्भया के माता-पिता ने मंगलवार को केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से मुलाकात कर विधेयक को संसद से जल्द से जल्द पारित कराने का आग्रह किया था.

नकवी के आवास पर उनसे मुलाकात के बाद निर्भया की मां ने संवाददाताओं से कहा, “हमें आश्वस्त किया गया है कि विधेयक को राज्यसभा में मंगलवार पारित करा लिया जाएगा.”

उन्होंने कहा, “यदि यह विधेयक छह महीने पहले पारित हो गया होता, तो वह रिहा नहीं होता. अब हालांकि देर हो चुकी है, हम चाहते हैं कि संसद से जल्द से जल्द यह विधेयक पारित हो जाए.”

विधेयक के बारे में विस्तृत विवरण देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि प्रस्तावित कानून के तहत ही बाल सुधार गृह की स्थापना की जाएगी.

मेनका ने कहा, “वे वयस्कों के लिए बने जेल में वयस्क अपराधियों के साथ नहीं रहेंगे. उन्हें बाल सुधार गृह में रखा जाएगा. वर्तमान में ऐसा नहीं है. इसकी स्थापना की जाएगी.”

दोषी किशोर तब तक बाल सुधार गृह में रहेंगे, जब तक कि उनकी उम्र 21 वर्ष नहीं हो जाती, जिसके बाद इस बात का मूल्यांकन किया जाएगा कि उन्हें रिहा किया जाए या नहीं.

मंत्री ने कहा, “उनकी समीक्षा होगी. यदि अब भी उनका झुकाव अपराध की ओर है, तो उन्हें पूरी सजा काटनी होगी.”

मेनका ने कहा कि मौजूदा कानून से किशोर अपराध को बढ़ावा मिलता है.

उन्होंने कहा, “अपराध में किशोर-किशोरियों की संलिप्तता तेजी से बढ़ रही है. बच्चे पुलिस थाने में पहुंचकर कहते हैं कि उन्होंने हत्या की है. हमें किशोर न्याय भेजा जाए.”

बच्चों के खिलाफ बच्चों के अपराध की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने आश्चर्य जताया, “क्या हम दोषी या अपराधी को बचाने जा रहे हैं?”

मेनका ने कहा, “यह (विधेयक) 16 वर्ष के एक किशोर को यह कहने से रोकेगा कि उसने झुग्गी में आग लगाई है और मुझे किशोर न्याय भेजा जाए. या मैंने दुष्कर्म किया है, हत्या की है, मुझे किशोर न्याय के समक्ष पेश किया जाए.”

दोषी की रिहाई के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के बीच सोमवार को सदस्यों की मांग पर राज्यसभा में किशोर न्याय विधेयक को चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था.

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