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माओवादी नेता कोबाड घांडी गंभीर

कोलकाता | संवाददाता: माओवादी नेता कोबाड घांडी की हालत गंभीर बताई जा रही है. कोबाड़ गांधी के नाम से चर्चित भारत में माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य रहे इस नेता को अभी तेनुघाट उपजेल में रखा गया है. बताया जाता है कि कोबाड़ को कई गंभीर बीमारियां हैं.

कुछ दिन पहले ही कोबाड घांडी ने एक पत्र लिख कर अपनी बिमारियों का जिक्र किया था. कोबाड घांडी ने अपने पत्र में लिखा था कि उन्हें स्लिप डिस्क और कैंसर से कर मूत्राशय की भी कई तकलीफें हैं. घांडी के अनुसार-” मैं 71 रहा हूँ … अगर कुछ गंभीर मेरे स्वास्थ्य के साथ हुआ, तो कौन जिम्मेदार होगा? ये सभी समस्याएं (विशेषकर मूत्र) पुरानी हैं और अगर तत्काल से निपटा नहीं तो मौत हो सकती है. इससे पहले कि बहुत देर हो जाये, मैं तत्काल कार्रवाई का अनुरोध करता हूं.”

कोबाड घांडी ने अपने पत्र में लिखा है-” सबसे गंभीर समस्या प्रोस्टेट/किडनी/ मूत्र का है जो बहुत गंभीर हो गई है. हालांकि झारखंड पुलिस बहुत दयालु रही है और पुलिस हिरासत के दौरान मुझे प्रोस्टेट/किडनी परीक्षण के लिए बोकारो जनरल अस्पताल ले जाया गया. चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड सहित कई परीक्षणों और प्रोस्टेट कैंसर का सुझाव दिया…हालांकि मैंने बार-बार तेनुघाट उप-जेल अधिकारियों को अनुवर्ती कार्रवाई के लिए याद दिलाया है, लेकिन एक महीने से अधिक समय बीत जाने पर कुछ भी नहीं हुआ है. इस बीच, आखिरी 3-4 रातों से समस्या तेज हो गयी है, जिसके परिणामस्वरूप मुझे रातों में 12-15 बार (पहले 5-6 बार) मूत्र के लिये जाना पड़ा.”

छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी सक्रिय रहे कोबाड को माओवादियों का थिंक टैंक माना जाता है. एकाध अवसर ऐसे भी आये हैं, जब माओवादियों ने कोबाड़ की रिहाई के लिये कुछ लोगों का अपहरण कर कोबाड़ की रिहाई की असफल कोशिश की थी.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के पोलित ब्यूरो के सदस्य और संगठन के विचारकों में से एक कोबड़ घांडी उर्फ कोबड़ घंडी उर्फ कोबाड़ गांधी को सितंबर 2009 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. गांधी के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में कई गंभीर आरोपों में मुकदमे दायर किये गये थे.

सात सालों तक तिहाड़ जेल और तीन महीने तक हैदराबाद के चेरलापल्ली सेंट्रल जेल में रहे गांधी को पिछले चार सालों से विशाखापटनम की जेल में रखा गया था. अधिकांश मामलों में सबूत के अभाव में कोबाड घांडी को दोषमुक्त करार दिया गया था. लेकिन रिहाई के तीन दिन भीतर ही 17 दिसंबर 2017 को झारखंड पुलिस ने बोकारो जिले में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के शिविर पर हमला तथा बारूदी सुरंग विस्फोट से संबंधित दो मामलों में कोबाड को फिर से गिरफ्तार कर लिया था.

आरोप था कि झारखंड के में नावाडीह के कंचकिरो में हुए 2006 में बारुदी सुरंग विस्फोट में 14 पुलिस कर्मी मारे गये थे. साथ ही 2006 में ही खासमहल सीआइएसएफ बैरक पर नक्सलियों ने हमला कर दो सीआइएसएफ के जवानों की हत्या कर दी थी. पुलिस के अनुसार कोबड इन घटनाओं में शामिल रहे हैं.

देहरादून के दून कॉलेज से पढ़ाई करने वाले कोबाड घांडी ने एलफिस्टन कॉलेज मुंबई में पढ़ाई की, फिर उच्च शिक्षा के लिये कोबड ने विदेश का रुख किया. एक सभ्रांत और अमीर पारसी परिवार में पले-बढ़े कोबाड ने 60 के दशक में नक्सल आंदोलन में भाग लिया और उसके बाद लंबे समय तक पीपुल्स वार ग्रूप के लिये महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में काम किया.

कोबाड घांडी की पत्नी अनुराधा उर्फ जानकी भी नक्सल संगठन में सक्रिय थी. अनुराधा सीपीआई माओवादी की सेंट्रल कमेटी की एकमात्र महिला सदस्य थी, जहां 2008 में गंभीर रुप से बीमार होने के बाद छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीमावर्ती जंगलों में अनुराधा की मौत हो गई थी.

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