राष्ट्र

नकदी की समस्या 7 हफ्ते बनी रहेगी

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: देश में नकदी की कमी 7 हफ्ते और रहेगी. नोटों की बदली जिस रफ्तार से हो रही है उससे नकदी की समस्या और सात हफ्ते बने रहने की संभावना है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चीफ इकॉनमिस्ट सौम्या कांति घोष के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में नकदी की जरूरत का अंदाजा दो महीने के उपभोग की जरूरतों से लगाया था. अगर इसको पैमाना माना जाता है तो अभी 10 लाख करोड़ रुपये की नई करेंसी और छापनी पड़ेगी.

Activity at Banks during November 10 to November 18, 2016: RBI

गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद जिस रफ्तार से मार्केट में पैसे की सप्लाई हो रही है, उससे स्थिति को सामान्य होने में कम से कम सात हफ्ते और लगने का अनुमान है.

8 नवंबर को सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का फरमान सुनाया था. इसके बाद से अब तक करीब 1.36 लाख करोड़ रुपये मार्केट में आये हैं. ये पैसे पुराने नोटों को बदलने और नकदी निकासी के माध्यम से आये हैं.

वहीं, मार्केट में करीब 14 लाख करोड़ रुपये के बड़े करेंसी नोट हैं. यानी अब तक पुराने नोटों के मूल्य का 10 फीसदी से भी कम बदला जा सका है. इस बात का खुलासा सोमवार को आरबीआई द्वारा जारी किये गये आकड़ों से हुआ है.

8 से 10 नवंबर के बीच बैंकों को 5,44, 517 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा के रूप में प्राप्त हुये हैं. इस अवधि में खाता धारकों ने करीब 1,03,316 करोड़ रुपये कैश बैंक की शाखाओं और एटीएम से निकाले हैं और 33,006 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गये हैं.

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