स्वास्थ्य

रोशनी की चाहत में अंधेरा

भोपाल | समाचार डेस्क: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एक लापरवाही ने आधा सैकड़ा से अधिक गरीबों को रोशनी पाने की चाहत में अंधेरे के मुहाने पर लाकर छोड़ दिया है. इन गरीबों की जिंदगी कभी रोशन हो पाएगी या अंधेरे में ही कटेगी यह कोई नहीं जानता है, हां इतना जरूर हुआ है कि सरकारी सुविधाओं की हकीकत सामने आ गई है.

बड़वानी जिले में सरकारी अस्पताल में बीते माह मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर लगा, इस आदिवासी अंचल के गरीबों (अधिकांश आदिवासी) को लगा कि मुफ्त में उनकी आंखों को रोशनी मिल जाएगी, यही कारण था कि इस शिविर में 86 बुजुर्गो ने अपनी आंखों के ऑपरेशन करा डाले. ऑपरेशन होने तक तो उन्हें थोड़ा बहुत दिखाई देता था, लेकिन ऑपरेशन के बाद तो अधिकांश मरीजों की आंखों के सामने धुंधला छाया हुआ है.

कुछ मरीजों ने ऑपरेशन के दूसरे दिन ही खुजली और दर्द की समस्या से अस्पताल पहुंचकर चिकित्सक को बताया, लेकिन चिकित्सकों ने उनकी बात को सामान्य करार देते हुए पांच दिन की दवा दे डाली. उसके बाद इन मरीजों को राहत मिलना तो दूर समस्या और बढ़ती गई. मरीजों को बाद में इंदौर रेफर करना पड़ा. बीते तीन दिनों में 40 से ज्यादा मरीज इंदौर के अरविंदो और एमवायएच अस्पताल में उपचार को पहुंच चुके हैं.

मरीजों को क्या हुआ है, इसका जवाब संयुक्त संचालक, चिकित्सा डा. शरद पंडित के पास सिर्फ संक्रमण है और यही बात सरकार के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं. मगर कितने मरीजों की आंखों की रोशनी गई है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. स्वास्थ्य विभाग से लेकर सरकार तक इस बात को बताने से हिचक रही है, कि आखिर कितने मरीजों की आंख अब कभी ठीक नहीं हो पाएगी.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने बड़वानी के आंख फोड़वा-कांड को स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही करार देते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा से इस्तीफे की मांग की है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश की जिस जनता को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना भगवान बताते हैं, उसकी स्थिति कीड़े-मकोड़े जैसी हो गई है. पेटलावद हादसे में 100 से अधिक लोगों की मौत, बड़वानी में 40 से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी छिनना और किसानों की आत्महत्या वास्तविकता को बयां करता है.

आखों के ऑपरेशन में लापरवाही उजागर होने पर सरकार ने सक्रियता दिखाई और चिकित्सक डा.आऱ एस़ पलोद सहित छह लोगों को निलंबित कर दिया है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री चौहान ने प्रभावित रोगियों के बेहतर उपचार के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अस्पतालों के सभी आपरेशन थियेटर्स का तत्काल इन्फेक्शन ऑडिट कराने और कोई कमियां हो तो उन्हें अविलंब दूर करने के निर्देश दिए हैं.

चिकित्सा जगत से जुड़े चिकित्सकों की मानें तो उनका कहना है कि जब मरीजों ने खुजली सहित अन्य समस्याएं बताई थी, तब इसे गंभीरता से लिया जाता और मरीजों की आंखों का परीक्षण किया जाता तो हो सकता है कि इस स्थिति में पहुंचने से बचा जा सकता था. अब जिन मरीजों की आंखों में मवाद आ रहा है, उनकी आंखों की रोशनी लौट पाना आसान नहीं है.

सवाल उठ रहा है कि क्या चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों के निलंबन से प्रभावितों की आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी अथवा उनकी जिंदगी में छाने वाले अंधेरे को किसी तरह दूर किया जा सकेगा या सिर्फ यह रस्म अदायगी है, जिससे जनता में गुस्सा न पनपे.

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